प्रयागराज, एबीपी गंगा। न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। इलाहाबाज हाईकोर्ट के न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय ने अब इस प्रक्रिया पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा है। जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने कोलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठाते हुये कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद, परिवारवाद हावी है। यही नहीं उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के परिवार का सदस्य अगला न्यायाधीश बनने के योग्य हो जाता है। उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।


जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि राजनीतिक कार्यकर्ता का मूल्यांकन उसके कार्य के आधार पर चुनावों में जनता के द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध करके ही चयनित होने का अवसर मिलता है। लेकिन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई पैमाना नहीं है।


न्यायपालिका की गरिमा के लिए लें कठोर निर्णय


जस्टिस पांडेय ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले दिनों माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का विवाद बंद कमरों से सार्वजनिक होने का मामला हो, हितों के टकराव का विषय हो या सुनने के बजाय चुनने के अधिकार का विषय हो, न्यायपालिका की गुणवत्ता लगातार संकट में पड़ने की स्थिति रहती है। उन्होंने स्वयं के बारे में कहा है, 'मैं बेहद साधारण पृष्ठभूमि से अपने परिश्रम और निष्ठा के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा में चयनित होकर पहले न्यायाधीश और अब हाई कोर्ट का न्यायाधीश बना हूं। अत: आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विषय पर विचार करते हुए आवश्यकतानुसार न्यायसंगत और कठोर निर्णय लेकर न्यायपालिका की गरिमा पुन:स्थापित करने का प्रयास करेंगे। जिससे किसी दिन हम यह सुनकर संतुष्ट हो सकें कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आया हुआ व्यक्ति अपनी योग्यता, परिश्रम और निष्ठा के कारण भारत का प्रधान न्यायाधीश बन पाया।'