UP: गौ हत्या निवारण कानून पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- बेगुनाहों को भेजा रहा जेल
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौ हत्या निवारण अधिनियम पर सरकार को फटकार लगायी है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह के मांस की बरामदगी पर बिना फॉरेंसिक टेस्ट किये बीफ बता दिया जाता है, बेगुनाहों को जेल भेज दिया जाता है.
प्रयागराज. यूपी में गौ हत्या रोकथाम अधिनियम को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राज्य में इसका दुरुपयोग हो रहा है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट में आरोपित कर बेगुनाहों को भी जेल भेजा जा रहा है. कड़े तेवर दिखाते हुये कोर्ट ने कहा कि लोग ऐसे अपराध में जेल भेजे जा रहे हैं, जिन्हें वह करते ही नहीं हैं. गौ हत्या निवारण कानून के तहत एक आरोपी को जमानत देते हुये कोर्ट ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया.
बिना टेस्ट किये बता दिया जाता है बीफ
अदालत का कहना था कि अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान होने के बावजूद लोग लंबे समय तक जेल में रहते हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह के मांस की बरामदगी के बाद उसकी सच्चाई का पता लगाए या फॉरेंसिक प्रयोगशाला में टेस्ट कराए बिना ही बता दिया जाता है बीफ यानी गाय का मांस. हाईकोर्ट ने अपने इसी निष्कर्ष के आधार पर आरोपी को दी जमानत
शामली के शख्स की जमानत मंजूर करते हुये ये बातें कहीं
अदालत ने शामली जिले के रहमू उर्फ़ रहमुद्दीन की जमानत अर्जी मंज़ूर करते हुये ये टिप्पणी कीं. आपको बता दें कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शामली के थाना भवन में गौ हत्या निवारण अधिनियम 1955 के तहत केस दर्ज किया था. गौरतलब है कि इसी साल 5 अगस्त से आरोपी जेल में हैं, जबकि इसकी क्रिमिनल हिस्ट्री सिर्फ एक मुक़दमे की ही है.
कोर्ट ने बेहद सख्त रुख दिखाते हुये कहा कि यूपी में गायों की देखरेख और गौशालाओं में बेहतर सुविधा के भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. गौशालाएं सिर्फ दुधारू गायों को ही रखने में दिलचस्पी दिखा रही हैं. बूढ़ी और बीमार के साथ ही दूध न देने वाली गायों को लोग सड़कों पर छोड़ देते हैं और गौशालाएं भी इन्हे नहीं रखती हैं.
फसलों को बर्बाद कर रही हैं गायें
कोर्ट ने कहा कि गौशालाओं के बाहर घूमने वाली गायें लोगों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं. किसानों को पहले सिर्फ नीलगायों से खतरा था, अब आवारा गायों से भी है. बाहर सड़कों पर घूमने वाली गायें ट्रैफिक और लोगों के जीवन के लिए भी खतरा पैदा करती हैं. आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. स्थानीय लोगों और पुलिस के डर की वजह से दूसरे लोग भी इन्हे न तो अपने साथ रखते हैं और न ही राज्य से बाहर भेजने की हिम्मत जुटा पाते हैं.
अदालत ने कहा कि गायों का परित्याग समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. गायों को उनके मालिकों के साथ रहने या फिर गौशालाओं में रखे जाने के नियम होने चाहिए. हाईकोर्ट ने अपने इसी निष्कर्ष के आधार पर आरोपी को जमानत दी. जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया.
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