UP News: मथुरा (Mathura) के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद (Shri Krishna Janmasthan ) पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई कोर्ट नंबर चार में हुई. सीरियल नंबर 48 पर लगे इस मुकदमें की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मूल वाद की सुनवाई में किसी भी तरह का दखल देने से इनकार कर दिया. इस मामलें में जस्टिस सलिल कुमार राय की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा यह बहुत बड़ा और गंभीर मामला है. इस मामले में सुनवाई को निर्धारित समय सीमा में पूरा किए जाने का आदेश नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने मूल वाद के साथ याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल की गई दो अर्जियों का जल्द निस्तारण करने का निचली अदालत को आदेश दिया है.
क्या है दोनों अर्जी?
कोर्ट ने जिन अर्जियों को निस्तारण करने का आदेश दिया है, उसमें पहली अर्जी मथुरा की जिला अदालत में चल रहे सभी मुकदमों को सूचीबद्ध कर एक साथ सुनवाई किए जाने की मांग वाली है. वहीं दूसरी अर्जी में विवादित जगह पर मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित किए जाने की मांग की गई है. हाईकोर्ट ने इन दोनों अर्जियों का निपटारा 4 महीने में करने का आदेश दिया है.
याचिकाकर्ता भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्र मनीष यादव ने मथुरा की जिला अदालत में दो अलग-अलग अर्जियां दाखिल कर रखी हैं. मूल वाद को लेकर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए मामलों में जल्दबाजी कतई ठीक नहीं है. सुनवाई का प्रारूप तथ्यों के आधार पर निचली अदालत तय करेगा.
क्या है विवाद?
बता दें कि ये विवाद श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित एक मस्जिद का है. जिसमें दावा ये किया जाता है कि जहां अभी मस्जिद है, वहां पहले मंदिर था. कहा जाता है कि मुगल शासकों ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी. वहीं बीते कुछ समय से इस बात की मांग लगातार होती रही है कि वो जो विवादित जगह है जिसे मंदिर बताया जाता है, उसे हिंदुओं को सौंप दिया जाए. उन्हें वहां मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए और उन्हें वहां पूजा पाठ करने की इजाजत दी जाए.
इस मांग को लेकर मथुरा की जिला अदालत में तमाम मुकदमें चल रहे हैं. इसके लेकर करीब एक दर्जन केस दर्ज हैं. उसमें से एक पक्षकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है और ये मांग की है कि मथुरा की अदालत में जो मुकदमें चल रहे हैं, उनकी सुनवाई जल्द से जल्द हो. याचिकाकर्ता द्वारा मांग की गई है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट लोअर कोर्ट को हर रोज सुनवाई करने का निर्देश दे. वहीं समय निश्चित कर दिया जाए, तब तक फैसला सुना दिया जाए.
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