हाईकोर्ट में डीएम गाजियाबाद हुए पेश, स्टांप शुल्क विवाद में चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश
Allahabad High Court on Ghaziabad DM Notice: गाजियाबाद डीएम स्टांप शुल्क विवाद के एक मामले में आज हाईकोर्ट में पेश हुए. इस मामले में कोर्ट ने उनसे चार हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा पेश करने को कहा है.
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट में गाजियाबाद के डीएम शुक्रवार (25 अक्टूबर) को स्टांप शुल्क विवाद के मामले में रिकॉर्ड के साथ पेश हुए. अदालत ने डीएम पर वैधानिक नियमों और कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर नोटिसा जारी करने और स्टांप शुल्क से जुड़े एक मामले में उन्हें तलब किया था.
मेसर्स एसआरएसडी बिल्डिकान वेंचर प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद कोर्ट ने डीएम से चार हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला?
मेसर्स एसआरएसडी बिल्डिकान वेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने करीब 200 करोड़ रुपये की लागत से 48 एकड़ जमीन खरीदी थी, इसके पक्ष में सेल सर्टिफिकेट बुक वन में दर्ज करने के लिए संदर्भित किया गया. इस पर डीएम गाजियाबाद ने स्टांप वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया.
हालांकि इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि किसी भी नीलामी में जारी किया गया सर्टिफिकेट बुक वन में दर्ज किया जाता है, जिस पर स्टांप ड्यूटी देय नहीं होती है. इसके बाद सब रजिस्ट्रार ने सर्टिफिकेट को बुक वन में रजिस्टर कर लिया था. हालांकि कुछ ही दिनों बाद प्रतिवादी संख्या तीन डीएम गाजियाबाद ने स्टांप एक्ट के सेक्शन 47 ए में स्टांप कमी का नोटिस जारी कर दिया.
इस नोटिस में डीएम ने कहा ने कहा कि मेसर्स एसआरएसडी बिल्डिकान वेंचर प्राइवेट लिमिटेड पर 14 करोड़ रुपये की स्टांप की देयता बनती है. जिसे याची कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. याची का तर्क है कि दस्तावेज केवल संदर्भित किया गया था, पंजीकरण के लिए पेश नहीं किया गया था और अधिकारियों को इसे समझने में गलती हुई है.
डीएम ने कोर्ट में दी ये दलील
कोर्ट में डीएम की ओर से अपर महाधिवक्ता अरविंद मिश्र ने दलील दी कि नोटिस कानून के मुताबिक जारी किया गया है. उन्होंने तर्क दिया कि स्टांप ड्यूटी लगाने का प्राधिकारी को भारतीय स्टांप एक्ट के तहत अधिकार है. अपर महाधिवक्ता ने कहा, "कानून में साफ है कि जब भी कोई दस्तावेज पंजीकरण के लिए पेश किया जाता है, तो पेश करने वाले का दायित्व है कि वह स्टांप जमा करे."
जिसके जवाब में याची के अधिवक्ता डॉ अवनीश त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने दस्तावेज केवल संदर्भित किया था, इसलिए स्टांप एक्ट की धारा 47 ए इस पर लागू नहीं होती और जारी नोटिस अधिकार क्षेत्र के बाहर है.
कोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक
जस्टिस पीयूष अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले को विचारणीय मानते हुए चार हफ्ते में डीएम से जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर दस्तावेज पंजीकरण के लिए पेश हुए था सबूत दाखिल करें.
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अगर हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है तो डीएम को फिर से रिकॉर्ड सहित कोर्ट में हाजिर होना होगा. कोर्ट ने 23 सितंबर की नोटिस के तहत जारी कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है और याची के विरुद्ध कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की गई है.
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