कोर्ट के आदेश के बाद बेरोजगार युवक की कैंसर पीड़ित मां को मिला इलाज, पढ़ें ये मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बेरोजगार युवक ने अपनी बीमार मां के लिये इलाज की गुहार लगाई. अदालत ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुये बेहद अहम आदेश दिया.
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक बेरेाजगार बेटे की याचिका पर सहानुभूति प्रकट करते हुये प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, डा राम मनोहर लेाहिया इंस्टीटयूट आफ मेडिकल साइंसेस और एसजीपीजीआईएमएस को उसकी कैंसर पीड़ित मां के नि:शुल्क इलाज करने का आदेश दिया है.
अदालत ने कहा कि उसकी मां को तीन दिन के भीतर केजीएमयू में दाखिल कर इलाज शुरू किया जाये और अदालत ने इस मामले में 24 मार्च को इलाज की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है.
कोर्ट ने एमीकस क्यूरी नियुक्त किया
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की पीठ ने सौहार्द लखनपाल की याचिका पर पारित किये. याची ने अपनी याचिका स्वयं दाखिल की थी, किन्तु अदालत ने मामले की संवेदनशीलता केा देखते हुए अधिवक्ता मुरली मनेाहर श्रीवास्तव को इस मामले में एमीकस क्यूरी नियुक्त कर दिया ताकि उसे मामले में पूरी तरह सहयेाग मिल सके.
परिवार की आय न के बराबर
श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि याची की मां को केजीएमयू में अप्रैल 2020 को कैंसर का पता चला. याची के पिता एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट हैं जो कि पिछले दस साल से बेरोजगार हैं और उसकी कैंसर पीड़ित मां एक ग्रहणी हैं,जबकि याची स्वयं भी बेरोजगार है और पूरे घर की आय न के बराबर है. ऐसे में कैंसर का मंहगा इलाज कराना उनके बस में नहीं है.
श्रीवास्तव ने आगे कहा कि याची को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 75 हजार रुपये की मदद प्राप्त हुई है लेकिन यह उसकी मां के इलाज के लिए काफी नहीं है.
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