Prayagraj News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गंगा नदी (Ganga River) में प्रदूषण से जुड़े मुकदमों की सुनवाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के बजाय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले 18 सालों से चल रहे मुकदमों को रिलीज कर उन्हें एनजीटी में ट्रांसफर कर दिया है. सभी दो दर्जन से ज्यादा याचिकाओं पर अब एनजीटी ही सुनवाई करेगा. यह फैसला गंगा से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी (Swami Hari Chaitanya Brahmachari) की जनहित याचिका (PIL) समेत दो दर्जन से ज्यादा याचिकाओं पर सुनाया है. सुनवाई पूरी होने के बाद कुछ दिनों पहले ही कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट साल 2006 से इस मामले में नियमित तौर पर सुनवाई कर रहा है. गंगा प्रदूषण को लेकर सबसे पहली याचिका टीकरमाफी आश्रम के महंत स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने दाखिल की थी. इसके बाद इस जनहित याचिका से दो दर्जन से ज्यादा दूसरी अर्जियां भी जुड़ गई. हाईकोर्ट इस मामले में नियमित तौर पर सुनवाई करते हुए लगातार अफसरों और सरकार को निर्देश दे रहा था. हाईकोर्ट के आदेशों के चलते गंगा की स्थिति में काफी हद तक सुधार भी हुआ था.
हाईकोर्ट ने गंगा नदी से जुड़े सभी मुकदमों को किया एनजीटी में ट्रांसफर
यूपी सरकार ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर सभी मुकदमों को एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर किए जाने की अपील की थी. उस वक्त आरोप लग रहा था कि यूपी सरकार नौकरशाही को बचाने के लिए मामले को हाईकोर्ट से एनजीटी में ट्रांसफर कराना चाहती है. हाईकोर्ट में आज चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर, जस्टिस एमके गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की लार्जर बेंच ने अपना फैसला सुनाया और सभी मुकदमों को एनजीटी में ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया.
एनजीटी को ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि एनजीटी को भी इस तरह के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार है. यूपी सरकार की तरफ से जो दलीलें दी गई और तमाम नजीर पेश की गई, उसे कतई खारिज नहीं किया जा सकता है. हालांकि कई याचिकाकर्ताओं ने अदालत के इस फैसले पर एतराज जताया है और हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
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