Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी के कौशाम्बी (Kaushambi) जिले में हुए कथित गोकशी के चर्चित मामले में नामजद आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई किए जाने पर रोक लगा दी है. अदालत ने इस मामले में यूपी सरकार (UP Government) के साथ ही मुकदमा दर्ज कराने वाले विपक्षी को भी नोटिस जारी कर सभी से जवाब तलब कर लिया है. सभी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है. इस चर्चित मामले में 10 साल के मासूम बच्चे की बेरहमी से हत्या (Murder) करने के आरोपियों पर पुलिस (Police) के साथ मिलीभगत कर पीड़ित परिवार के 71 साल के बुजुर्ग समेत 5 लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का आरोप है. आरोप है कि दबंग किस्म के हत्या आरोपियों ने पीड़ित परिवार को इसलिए गोकशी के मुकदमे में फंसाया ताकि वो जेल चले जाएं और अपने परिवार के 10 साल के बच्चे की हत्या के मामले में ठीक से पैरवी ना कर सकें. 


सवालों के घेरे में है पुलिस 
मामले में कौशाम्बी पुलिस भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि उसने ना सिर्फ तथ्यों की सच्चाई परखे बिना घटना के 18 दिन बाद एफआईआर दर्ज की, बल्कि एफआईआर की तहरीर में दी गई शिकायत से अलग भी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश की गई दलीलों पर सहमति जताते हुए एफआईआर को संदिग्ध माना है और इसी आधार पर आरोपियों को राहत दी है. मुकदमे की अगली सुनवाई नवंबर महीने के आखिरी हफ्ते में होगी. अदालत ने राहत पाने वाले आरोपियों को पुलिस जांच में सहयोग देने का भी आदेश दिया है.  


जानें- पूरा मामला 
गौरतलब है कि, कौशाम्बी जिले के सैनी थाने के परास गांव के रहने वाले मोहम्मद दाऊद ने इसी साल 24 जून को अपने पड़ोसी 71 साल के बुजुर्ग शेर मोहम्मद और उनके चार बेटों जैद, सादान, अहद और शहजादे के खिलाफ गोकशी किए जाने और धमकी देने और मारपीट किए जाने के मामले में गंभीर धाराओं में नामजद मुकदमा दर्ज कराया था. पांचों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 379, 323, 504, 506 और 452 के साथ ही यूपी प्रिवेंशन ऑफ काऊ स्लाटर एक्ट 1955 की धारा 3, 5 व 8 के तहत सैनी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. शिकायतकर्ता दाऊद का आरोप था कि बुजुर्ग शेर मोहम्मद और उनके चार बेटों ने 4 जून को रात के अंधेरे में उनके घर के बाहर बंधी गाय को चोरी कर लिया और उसके काटने के बाद उसके मांस को बेच दिया. कुछ देर बाद एतराज जताने पर आरोपियों ने उनके परिवार पर धावा बोलकर मारपीट और गाली-गलौज की और साथ ही जान से मारने की धमकी भी दी.  


दर्ज कराया है फर्जी मुकदमा 
मुकदमे में नामजद किए गए शेर मोहम्मद और अन्य ने एफआईआर रद्द किए जाने और गिरफ्तारी पर रोक की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट सहर नकवी ने अदालत के सामने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान एडवोकेट सहर नकवी ने दलील दी कि विपक्षी मोहम्मद दाऊद ने शेर मोहम्मद और उनके बेटों को फंसाने के लिए फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है. एफआईआर में घटना इसी साल 6 जून की बताई गई है, जबकि एफआईआर के लिए अर्जी 18 दिन बाद 24 जून को दी गई है. कहा ये भी गया कि दाऊद के पास सिर्फ एक गाय थी, जो अब भी उसके दरवाजे पर बंधी रहती है. कोई गाय ना तो चोरी की गई है और ना ही उसे कत्ल किया गया है. गांव के लोगों से इस बारे में जानकारी भी ली जा सकती है.  


10 साल के बच्चे का कत्ल 
आरोपियों की वकील सहर नकवी ने ये भी दलील दी कि शिकायतकर्ता मोहम्मद दाऊद और उसके परिवार के लोगों ने आरोपी बनाए गए शेर मोहम्मद के परिवार के तकरीबन 10 साल के एक मासूम बच्चे को महज मामूली कहासुनी के विवाद में 3 साल पहले बेरहमी से कत्ल करने के बाद शरीर के टुकड़े कर जंगल में फेंक दिए थे. 14 जून साल 2018 को हुए बच्चे के कत्ल के मामले में दाऊद और उसके परिवार के लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई थी और सभी को जेल जाना पड़ा था. दाऊद और अन्य आरोपियों की जमानत रद्द करने के लिए आरोपी बनाए गए शेर मोहम्मद के परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्जी भी दाखिल कर रखी है. बच्चे के कत्ल के मामले में जैद नाम का आरोपी प्रमुख गवाह भी है. आरोप ये भी है कि यूपी प्रिवेंशन ऑफ काऊ स्लाटर एक्ट 1955 की धारा 8 10 साल तक की उम्र के गोवंश को मारने पर ही लगती है. एफआईआर की तहरीर में गाय की उम्र नहीं दी हुई है, इसके बावजूद ये धारा लगाई गई है.   


सभी पहलुओं को देखे बिना ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली 
वकील सहर नकवी के मुताबिक बच्चे के कत्ल के मामले में ठीक तरह से हो रही पैरवी को प्रभावित करने और पीड़ित परिवार पर फर्जी मुकदमा लगाकर उस पर समझौते का दबाव बनाने के लिए ही दाऊद ने पुलिस के साथ मिलीभगत कर फर्जी एफआईआर दर्ज कराई है. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अदालत को इस मामले में आरोपियों को फौरी राहत देते हुए सभी पक्षों को सुने जाने के बाद सैनी थाने में दर्ज गोकशी और अन्य धाराओं की एफआईआर को रद्द किए जाने का आदेश देने की गुहार लगाई गई. याचिका में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए और उस पर शिकायतकर्ता से मिलकर फर्जी मुकदमा दर्ज किए जाने का आरोप लगाया गया. पुलिस ने बच्चे की हत्या और इस मामले में 18 दिन बाद शिकायत दर्ज किए जाने जैसे पहलुओं को देखे बिना ही एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबिश देनी शुरू कर दी.  


पुलिस जांच में सहयोग देने को कहा गया 
मासूम बच्चे का बेरहमी से कत्ल किए जाने और बाद में पीड़ित परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की वजह से ये पूरा मामला काफी चर्चित हुआ था. सियासी गलियारों में भी ये मामला सुर्खियों में बना हुआ था. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस नवीन श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में हुई. अदालत ने याचिकाकर्ताओं की वकील सहर नकवी की दलीलों को सुनने के बाद आरोपियों को बड़ी राहत दे दी है. अदालत ने आरोपियों के खिलाफ किसी भी तरफ की दंडात्मक कार्रवाई किए जाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट से राहत मिलने के बाद नामजद पांचों आरोपी अब इस मामले में गिरफ्तार होकर जेल जाने से बच जाएंगे. अदालत ने आरोपियों को पुलिस जांच में सहयोग देने को कहा है.


नई बेंच के सामने होगी सुनवाई 
मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को शुरू होने वाले हफ्ते में किसी नई बेंच के सामने होगी. इस मामले में सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल एएन मुल्ला ने नोटिस रिसीव किया, जबकि मुकदमा दर्ज कराने वाले प्राइवेट विपक्षी दाऊद को कोर्ट के जरिए नोटिस भेजा जाएगा. एक महीने में विपक्षी का जवाब दाखिल होने के बाद याचिकाकर्ताओं को अपना रीज्वाइंडर दाखिल करने के लिए दो हफ्ते को मोहलत रहेगी.



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