(Source: Dainik Bhaskar)
बकरीद पर कुर्बानी से रोक रही पुलिस, हाईकोर्ट से दखल देने की मांग, जनहित याचिका दाखिल
Prayagraj News: आरोप है कि मऊ में पुलिस ने लोगों को मौखिक रूप से यह निर्देश दिया है कि बकरीद के मौके पर भी वह अपने घरों और अहातों में जानवरों की कुर्बानी नहीं कर सकते.
Prayagraj News: यूपी में पुलिस द्वारा बकरीद के मौके पर घरों और अहातों में कुर्बानी से रोके जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब बृहस्पतिवार को सुनवाई हो सकती है. ज्यादा मुकदमे की होने की वजह से नंबर नहीं आ पाने के चलते इस मामले में बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी थी. बुधवार को होने वाली सुनवाई में यूपी सरकार को अपना जवाब दाखिल करना था, लेकिन इस मामले में सरकार द्वारा अपने वकीलों को अभी कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं.
मामला पूर्वांचल के मऊ जिले के सराय लखंसी थाना क्षेत्र का है. आरोप है कि पुलिस ने यहां लोगों को मौखिक रूप से यह निर्देश दिया है कि बकरीद के मौके पर भी वह अपने घरों और अहातों में जानवरों की कुर्बानी नहीं कर सकते. ऐसा करने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
पुलिस के इस फरमान के खिलाफ मोहम्मद शाहिद नाम के शख्स ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस मनीष कुमार निगम की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया था और आगे की सुनवाई के लिए बुधवार का दिन तय किया था.
मोहम्मद शाहिद की जनहित याचिका में कहा गया था कि बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी करना इस्लाम धर्म का अहम हिस्सा है. मुस्लिम समुदाय के लोग पारंपरिक तौर पर हर साल बकरीद के त्यौहार के मौके पर जानवरों की कुर्बानी करते हैं. कानून व्यवस्था को खतरा न हो और किसी की भावनाएं आहत न हो, इसलिए कुर्बानी की रस्म सार्वजनिक जगह के बजाय अब घरों के अंदर ही अदा की जाती है और नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाता है.
उन्होंने दलील दी गई है कि नियमों का पालन करते हुए घरों में की जाने वाली कुर्बानी से पुलिस का रोकना कतई उचित नहीं है और यह पूरी तरह से गलत है. उन्होंने हाईकोर्ट इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई और पुलिस को मनमानी करने से रोके जाने का आदेश जारी करने की अपील की है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता चंद्रकांत त्रिपाठी के मुताबिक वह बृहस्पतिवार को कोर्ट में इस मामले को मेंशन करेंगे और अदालत से इसे अर्जेंसी के आधार पर जल्द सुने जाने का अनुरोध करेंगे. अदालत को यह बताएंगे कि बकरीद का त्यौहार सोमवार 17 जून को ही है, ऐसे में अगर जल्द ही इस मामले में सुनवाई नहीं होती है तो जनहित याचिका औचित्यहीन हो जाएगी.
अधिवक्ता चंद्रकांत त्रिपाठी के मुताबिक इस मामले में एसडीएम के निर्देश पर पिछले साल रेवेन्यू इंस्पेक्टर और इलाके की पुलिस ने मौके पर जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें भी सब कुछ सामान्य बताया गया था और कहा गया था कि कानून व्यवस्था को कोई खतरा नहीं है. मामले की सुनवाई अब जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस विनोद दिवाकर की डिवीजन बेंच में होनी है.
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