Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में पीड़ित नाबालिग लड़कियों की तरफ से पैरवी करने के लिए एक सौ बयासी महिला वकीलों का पैनल तैयार किया है. लीगल सर्विस कमेटी ने महिला वकीलों का यह पैनल इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर तैयार किया है. पैनल में शामिल महिला वकील इलाहाबाद हाईकोर्ट में पॉक्सो एक्ट के तहत आने वाले मुकदमों में पीड़ितों का पक्ष रखेंगी. उनकी तरफ से पैरवी करेंगी और साथ ही उन्हें कानूनी मदद मुहैया कराते हुए दोषियों को सख्त सजा दिलाने का काम भी करेगी.
लीगल सर्विस कमेटी ने महिला वकीलों का यह पैनल इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर तैयार किया है. हाईकोर्ट ने इसी साल 12 अप्रैल को क्रिमिनल मिसलेनियस बेल एप्लीकेशन 709/ 2024 रंजीत बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और दो अगस्त 2022 को क्रिमिनल मिसलेनियस बेल एप्लीकेशन 23834/2022 आशीष यादव बनाम यूपी सरकार के तहत हाईकोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी से महिला वकीलों का पैनल गठित करने का अनुरोध किया था.कमेटी में शामिल महिला वकीलों की नियुक्ति पॉक्सो मामलों में पीड़ितों का पक्ष रखने के लिए किया गया है. यह महिला वकील एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र के तौर पर काम करेंगी.
182 महिला वकीलों की सूची जारी
पैनल में शामिल महिला वकील अमृता राय मिश्रा के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी ने पैनल के लिए महिला वकीलों से आवेदन मांगे थे. इनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट में कम से कम तीन और ज्यादा से ज्यादा बीस सालों तक वकालत करने वाली महिला वकीलों को आवेदन करना था. महिला वकीलों को 10 सितंबर तक आवेदन करना था. अमृता राय मिश्रा के मुताबिक स्क्रुटनी के बाद लीगल सर्विस कमेटी ने ज्यादातर आवेदनों को मंजूर कर लिया और कुल 182 महिला वकीलों के पैनल की सूची जारी कर दी है.
क्या बोली महिला वकील सहर नकवी
पैनल में शामिल एक अन्य महिला वकील सहर नकवी का कहना है कि यह उनके लिए बेहद सम्मान और गौरव की बात है कि वह लोग हाईकोर्ट में पीड़ित नाबालिग लड़कियों से जुड़े हुए मुकदमों में पैरवी कर उन्हें न्याय दिलाने में मदद करेंगी. उनके मुताबिक प्रभावशाली पैरवी नहीं होने की वजह से तमाम आरोपी छूट जाते हैं और आसानी से जमानत पा जाते हैं.
इंसाफ मिलने में काफी मदद मिलेगी
एडवोकेट सहर नकवी का कहना है कि महिला वकीलों की पैरवी से पीड़ितों को इंसाफ मिलने में काफी मदद मिलेगी. पैनल की सदस्य आंचल ओझा और दीबा सिद्दीकी का कहना है कि लीगल सर्विस कमेटी के सेलेक्शन ने उनकी जिम्मेदारियों को और बढ़ा दिया है. पीड़ितों को इंसाफ दिलाने में वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी.
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