लखनऊ. अभी कुछ दिन पहले कोरोना के इलाज को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर तल्ख टिप्पणी करने के बाद गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए योगी सरकार की जमकर प्रशंसा की. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार को सराहा है. अदालत ने प्रदेश सरकार की ओर से दी गयी रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए हालांकि कोई आदेश पारित नहीं किया. कोर्ट ने सुनवाई के लिए जून के दूसरे सप्ताह में कोई तारीख तय करने का निर्देश दिया.


बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इसी बेंच ने कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाए थे.


अदालत ने राज्य सरकार द्वारा बहराइच, श्रावस्ती, बिजनौर, बाराबंकी और जौनपुर जिले में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं के संबंध में दाखिल रिपोर्ट का संज्ञान लिया और कहा योगी सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में उठाये गए कुछ कदम प्रशंसा के योग्य हैं. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख पर पांच और जिलों भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया और शामली की मेडिकल सुविधाओं के बारे में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.


टेस्ट की दरें निर्धारित करने पर संतुष्ट HC
हाईकोर्ट ने आरटीपीसीआर, एंटीजन और सीटी स्कैन की दरें निर्धारित किये जाने की सरकार की पहल पर विशेष तौर पर संतुष्टि जाहिर की. ज्ञातव्य है कि कुछ निजी अस्पतालों और नसिर्ंग होम द्वारा डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए अनाप शनाप पैसे वसूलने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं संज्ञान लिया था. इसके बाद सरकार की ओर से सभी टेस्ट की दरें निर्धारित कर दी थीं. इस संबंध में अदालत ने सकारात्मक संज्ञान लिया कि सरकार की ओर से आरटीपीसीआर की दर 500 रूपए से 900 रूपए के बीच, एंटीजन टेस्ट 200 रुपए, ट्रूनेट टेस्ट 1200 रूपए और सीटी स्कैन 2000 रूपए से 2500 रूपए के बीच निर्धारित की गयी हैं. सुनवाई के दौरान स्वर्गीय जस्टिस वी के श्रीवास्तव के इलाज की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गयी.


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