Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाए जाने की मंज़ूरी दिए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए न सिर्फ याचिकाकर्ता पर एक लाख रूपये का हर्जाना लगाया है, बल्कि याचिककर्ता की नीयत पर भी सवाल उठाए हैं. अदालत ने इस बात की आशंका से इंकार भी नहीं किया है कि याचिकाकर्ता कुछ ऐसी ताकतों का मुखौटा बना हुआ है, जो सीएम योगी आदित्यनाथ का विरोध कर रही हैं और उत्तर प्रदेश की तरक्की को नहीं देखना चाहती हैं. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसे याचिकाकर्ताओं की मंशा और उनकी आमदनी के बारे में जांच होनी चाहिए. हालांकि अदालत ने सीधे तौर पर जांच के कोई आदेश नहीं दिए हैं, लेकिन यह कहा है कि यूपी सरकार इस बारे में ज़रूर कोई फैसला ले सकती है.
यह आदेश जस्टिस डीके सिंह की सिंगल बेंच ने गोरखपुर के सोशल एक्टिविस्ट परवेज परवाज़ की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. याचिका में साल 2007 के एक पुराने आपराधिक मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मंज़ूरी से जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मांग से जुड़ी हुई अर्जियों को निस्तारित कर चुका है. उसके बाद निचली अदालत में फिर से रिवीजन अर्जी दाखिल करना और फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने याचिकाकर्ता की नीयत पर शक पैदा करता है. अदालत ने याचिकाकर्ता परवेज परवाज़ के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह बहुत व्यस्त व्यक्ति लगता है. अपने खिलाफ खुद 14 आपराधिक मुक़दमे दर्ज होने के बावजूद योगी आदित्यनाथ से जुड़े मामले में 16 सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. अब तक उसने काफी पैसे भी खर्च किये होंगे. ऐसे में उसकी नीयत क्या है और उसकी आमदनी के साधन क्या है, इस बारे में जांच की जा सकती है.
UP Budget 2023: यूपी के बजट पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कही ये बात
केस की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल की तरफ से कहा गया कि योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश का चेहरा बदल दिया है. यूपी लगातार तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन कई लोगों को यह तरक्की पसंद नहीं आ रही है. वह सीएम योगी का विरोध कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश की तरक्की को नहीं देखना चाहते हैं. याचिकाकर्ता ऐसी ताकतों का मुखौटा लग रहा है. अदालत ने अपने फैसले में यह लिखाया है कि एडिशनल एडवोकेट जनरल की इन बातों में बल हो सकता है. हालांकि अदालत किसी तरह की जांच का आदेश नहीं दे रही है, लेकिन अगर सरकार चाहे तो वह जांच करा सकती है.