Triple Talaq News: मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तलाक को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम शौहर द्वारा पत्नी को दिया गया ट्रिपल तलाक यानी कानून के खिलाफ दिया गया तलाक है या नहीं, इस बारे में तथ्यों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ही बेहतर तरीके से फैसला दे सकती है. 


हाईकोर्ट के मुताबिक शौहर द्वारा दिया गया तलाक गैर कानूनी यानी तलाक ए बिद्दत है या नहीं, इस बारे में ट्रायल कोर्ट समीक्षा के आधार पर बेहतर तरीके से नतीजे पर पहुंच सकती हैं. अदालत ने ट्रिपल तलाक के आरोपी शौहर को कोई राहत देने से इंकार कर दिया है. 


ट्रिपल तलाक पर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
हाईकोर्ट ने गोरखपुर के एसीजेएम कोर्ट द्वारा आरोपी शौहर जान मोहम्मद को जारी किए गए समन आदेश को रद्द करने से मना कर दिया है. आरोपी जान मोहम्मद के खिलाफ उसकी पत्नी ने मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 3/4 और आईपीसी की धारा 494 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप लगाया था कि शौहर ने 21 जुलाई 2022 को लगातार तीन बार तलाक बोलकर तलाक ए बिद्दत दिया है, जो गैर कानूनी है. यह भी आरोप लगाया कि शौहर ने तलाक पूरा हुए बिना ही दूसरा विवाह भी कर लिया है. 


इस मामले में गोरखपुर पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपी शौहर के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी. इस चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम कोर्ट गोरखपुर ने आरोपी शौहर जान मोहम्मद को समन जारी किया था. याचिकाकर्ता शौहर जान मोहम्मद ने इसी समन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. आरोपी शौहर की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उसने एक बार में तीन तलाक नहीं दिया है, बल्कि नियम के मुताबिक एक-एक महीने की नोटिस पर तीन बार तलाक दिया है, जो कि कानूनी रूप से सही है. 


यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में कोर्ट में कहा गया कि महिला और उसके बेटे ने एक साथ तीन तलाक देने की बात कही है, इसलिए आरोपी शौहर को राहत नहीं मिलनी चाहिए.


याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार
जस्टिस राजवीर सिंह की सिंगल बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि तलाक को लेकर पति और पत्नी के बयान में विरोधाभास है. इस बारे में पति द्वारा तीन बार नोटिस दिए जाने के सबूत और पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप की समीक्षा के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. यह काम ट्रायल कोर्ट ही बेहतर तरीके से कर सकती है. कोर्ट ने मामले को वापस ट्रायल कोर्ट को भेजते हुए शौहर को राहत देने से मना कर दिया है.


इस मामले में पत्नी ये भी आरोप लगाया है कि पति ने तलाक देने के फौरन दूसरी शादी भी कर ली है. कोर्ट ने दूसरी शादी को लेकर भी उसे समन जारी किया था. हालांकि दूसरी शादी पर जारी हुए समन को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आईपीसी की धारा 494 सीआरपीसी की धारा 198 से बाधित है, इसलिए कोर्ट इस पर संज्ञान नहीं ले सकता है. इस मामले में परिवाद ही दर्ज कराया जा सकता है. 


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