Allahabad High Court: तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामभद्राचार्य को भगवान राम को लेकर दिए गए बयान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली हैरासलीला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जगतगुरु रामभद्राचार्य के खिलाफ एससी एसटी और समाज में संप्रदाय के आधार पर नफरत फैलाने की धाराओं के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि याचिका में जो मांग की गई है, उसका कोई आधार नहीं है.


यह आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने प्रयागराज के प्रकाश चंद्र की याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, जगतगुरु रामभद्राचार्य ने अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर के लोकार्पण के वक्त राम कथा के दौरान एक विवादित बयान दिया था. उन्होंने बिहार में हुई राम कथा में कहा था कि जो भगवान राम के नाम का जयकारा नहीं लगाता, वह एक खास जाति का है. रामभद्राचार्य के इस बयान पर खूब विवाद हुआ था. 


इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य कार्यक्रम में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम को लेकर भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि मरे मुलायम-कांशीराम, प्रेम से बोलो जय श्री रामरासलीला, उनके इन दो बयानों पर कड़ा एतराज चढ़ाते हुए प्रयागराज के प्रकाश चंद्र ने इलाहाबाद की जिला अदालत में अर्जी दाखिल की थी.


उन्होंने अपनी अर्जी में जगतगुरु रामभद्राचार्य के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के साथ ही समाज में वैमनस्यता फैलाने वह अन्य धाराओं में केस दर्ज किए जाने का आदेश जारी किए जाने की मांग की गई थी. रासलीला जिला अदालत ने इसी साल 15 फरवरी को सुनवाई किए बिना ही पोषणीयता के आधार पर अर्जी को खारिज कर दिया था.


प्रयागराज के यमुनापार इलाके के प्रकाश चंद्र ने जिला अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए जगतगुरु रामभद्राचार्य से जवाब तलब किया था. जगतगुरु रामभद्राचार्य की तरफ से सीनियर एडवोकेट एमसी चतुर्वेदी और विनीत संकल्प ने दलीलें पेश की.


दलीलों में कहा गया कि निचली अदालत का फैसला पूरी तरह सही है. जो बयान का गलत मतलब गया है, जगतगुरु ने किसी व्यक्ति को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि धर्माचार्य होने के नाते वह चाहते हैं कि हर कोई भगवान राम का नाम ले और उनके बताए आदर्शों पर चले. हाईकोर्ट ने जगतगुरु रामभद्राचार्य के अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और विनीत संकल्प के साथ ही यूपी सरकार की दलीलों को सुनकर याचिका को खारिज कर दिया.