UP News: मुख्तार अंसारी के बेटे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अब्बास अंसारी के खिलाफ चित्रकूट के कर्वी थाने में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में को लेकर जमानत अर्जी दायर हुई थी.
अब्बास अंसारी को अगर इस मामले में जमानत मिल जाती तो वह जेल से रिहा हो जाता. अब हाई कोर्ट के फैसले से अब्बास अंसारी की जेल से बाहर आने की कोशिशों को लगा बड़ा झटका है.अब्बास अंसारी को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. जमानत पाने और जेल से बाहर आने के लिए उसे अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा या फिर 3 महीने बाद हाईकोर्ट में नई जमानत अर्जी दाखिल करनी होगी.
अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई थी. कोर्ट ने इन चैंबर बहस पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. हाईकोर्ट का फैसला आज आया हुआ है, कोर्ट ने अपने फैसले में अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में अब्बास अंसारी की हिस्ट्री शीट को भी बड़ा आधार बनाया है
कोर्ट के फैसले में लिखा गया है कि अब्बास अंसारी के खिलाफ यूपी के अलग-अलग जिलों में 11 आपराधिक मुकदमे दर्ज है. गैंगस्टर के मुकदमे में अब्बास अंसारी को ही गैंग लीडर बताया गया है. अदालत के फैसले के मुताबिक चित्रकूट जिले की कर्वी कोतवाली में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे की जांच अभी जारी है.
कोर्ट में वकील ने अब्बास अंसारी के परिवार का आपराधिक इतिहास बताया
अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी पर उनके अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने अपनी दलीलें पेश की थीं. जबकि राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता एके संड ने रखा था पक्ष. सरकारी वकीलों ने क्रिमिनल हिस्ट्री और अब्बास अंसारी के परिवार का आपराधिक इतिहास बताया था. एडिशनल एडवोकेट जनरल और शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया था.
गैंगस्टर एक्ट में दर्ज हुई थी FIR
बता दें कि 31 अगस्त 2024 को चित्रकूट के कर्वी थाने में गैंगस्टर एक्ट में अब्बास अंसारी व अन्य के खिलाफ गैंगस्टर की एफआईआर दर्ज हुई थी. चित्रकूट जेल में बंद रहने के दौरान अवैध तरीके से मुलाकात व जेल कर्मियों को धमकाने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी. इस मामले में अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट को 4 हफ्ते में जमानत अर्जी तय करने का निर्देश दिया था.
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