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Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के बेटों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, मकान के ध्वस्तीकरण को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज
इलाहाबाद HC ने मुख्तार अंसारी के बेटों अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के मऊ में दो मंजिला मकान के ध्वस्तीकरण को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज कर दी है. साथ ही कोई अंतरिम राहत देने से भी इंकार कर दिया है.
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Mafia Mukhtar Ansari: पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के बेटों अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) और उमर अंसारी (Umar Ansari) को हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने मऊ (Mau) जिले में दो मंजिला आलीशान मकान के ध्वस्तीकरण (Demolition) को चुनौती देने वाली अर्जी को खारिज कर दिया है. बता दें कि सुभासपा विधायक (SBSP MLA) अब्बास अंसारी और उनके छोटे भाई उमर अंसारी की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई थी.
दरअसल नगर मजिस्ट्रेट मऊ ने आरबीओ एक्ट (RBO Act) के तहत 19 दिसंबर 2022 को दो मंजिला मकान के निर्माण को अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया था. इस निर्माण को लेकर आरोप था कि दो मंजिला आलीशान मकान बनाने के लिए ना तो मंजूरी ली गई है और ना ही नक्शा पास कराया गया है. जिसके बाद अब्बास अंसारी ने सिटी मजिस्ट्रेट मऊ (City Magistrate Mau) को कंपाउंडिंग के लिए अर्जी दी थी.
HC ने की याचिका खारिज
सिटी मजिस्ट्रेट ने कंपाउंडिंग के बजाय ध्वस्तीकरण आदेश पारित कर दिया. इसके बाद अब्बास अंसारी और उमर अंसारी ने इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. अब्बास और उमर की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि जिस आलीशान मकान को गिराए जाने का आदेश जारी किया गया है उसका नक्शा पास है. वहीं यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि याचिकाकर्ता झूठ बोल रहे हैं. नक्शा बगल के प्लाट का मंजूर है और निर्माण दूसरे प्लॉट पर किया गया है. अब हाईकोर्ट ने इस याचिका पर दखल देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.
कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से किया इंकार
हाईकोर्ट के फैसले से मुख्तार के परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालांकि कोर्ट ने अब्बास अंसारी और उमर अंसारी को ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ नियंत्रक यानी मऊ जिले के डीएम के समक्ष अपील करने की छूट दी है. वहीं अब्बास अंसारी की ओर से यह मांग की गई है कि अपील करने तक ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाई जाए. लेकिन कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. इस मामले में सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता चतुर्थ विनीत पांडेय ने पक्ष रखा. जिसकी सुनवाई जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस नंदप्रभा शुक्ला की डिवीजन बेंच में हुई.
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