Prayagraj News: स्कूलों में कार्यरत अनुदेशकों के मानदेय का मामला, इलाहाबाद HC ने फैसला रखा सुरक्षित
अदालत को बताया गया कि 17 हजार का मानदेय केवल एक साल के लिए पास हुआ था और अनुदेशकों की एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति होती है. महाधिवक्ता अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने का विरोध किया.
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Prayagraj News: उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में बहस पूरी हो गई है. राज्य सरकार की स्पेशल अपील पर बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. अदालत में करीब दो घंटे तक दोनों पक्षों की तरफ से लंबी बहस चली. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा. अनुदेशकों की ओर से सीनियर एडवोकेट एच एन सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने अदालत में पेश हुए. महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जुलाई 2017 में याचियों ने 8470 रुपये मानदेय पर कॉन्ट्रैक्ट किया था. लिहाजा, इस आधार पर याची 17 हजार मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं.
अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने का विरोध
अदालत को बताया गया कि 17 हजार का मानदेय केवल एक साल के लिए पास हुआ था और अनुदेशकों की एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति होती है. महाधिवक्ता अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने का विरोध किया. अनुदेशकों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एच एन सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने अदालत में पक्ष रखते हुए याचियों को 17000 का मानदेय दिए जाने की पुरजोर मांग की. अदालत को बताया गया कि सिंगल बेंच ने याचियों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश भी दिया था. इस मामले पर लखनऊ की बेंच में भी एक याचिका दाखिल है.
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दोनों याचिकाओं पर एक साथ अदालत ने सुनवाई की
प्रधान पीठ और लखनऊ बेंच में दाखिल दोनों याचिकाओं पर एक साथ अदालत ने सुनवाई पूरी की. राज्य सरकार ने दलील दी कि केंद्र सरकार की ओर से पूरा फंड नहीं दिया गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि पूरा फंड दे दिया है. प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था. 17 हजार रुपये मानेदय के फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है. मानदेय बढ़ाने की मांग के समर्थन में अनुदेशकों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी. 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने आदेश दिया था. अनुदेशकों के पक्ष में 2017 से 17 हजार मानदेय 9 फीसद ब्याज जोड़कर दिए जाने का फैसला आया. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है. विवेक सिंह, आशुतोष शुक्ला और भोला नाथ पांडेय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी.
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