ट्रांसजेंडर को गोद लेना था बच्चा, मैरिज सर्टिफिकेट पर अटक गई बात, अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया अहम आदेश
हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के तहत एकल व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है और इस कानून की धारा 8 और 7 के तहत विवाह या विवाह के पंजीकरण की जरूरत नहीं है.
Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए विवाह का प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) आवश्यक शर्त नहीं है. हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के तहत एकल व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है और इस कानून की धारा 8 और 7 के तहत विवाह या विवाह के पंजीकरण की जरूरत नहीं है. जस्टिस डॉक्टर कौशल जयेन्द्र ठाकर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने रीना किन्नर और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, रीना का जन्म 29 जनवरी, 1983 को हुआ और जन्म के समय उसे बेटी समझा गया, लेकिन बाद में पता चला कि वह किन्नर है. वहीं दूसरा याचिकार्ता 32 साल का युवक है. दोनों ने 16 दिसंबर, 2000 को वाराणसी के अर्दली बाजार स्थित महावीर मंदिर में विवाह कर लिया.
अदालत ने यह आदेश नौ फरवरी, 2022 को पारित किया
याचिकाकर्ता एक बच्चा गोद लेना चाहते थे जिसके लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत प्रमाण पत्र की जरूरत थी और इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया. उनका विवाह पंजीकृत नहीं हो सका था क्योंकि याचिकाकर्ता रीना किन्नर है. अदालत ने पंजीयक को तीन दिसंबर, 2021 को किए गए इस ऑनलाइन आवेदन पर एक विस्तृत आदेश पारित करने का निर्देश दिया. अदालत ने यह आदेश नौ फरवरी, 2022 को पारित किया.
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