(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लव मैरिज नहीं स्वीकार! ससुर ने दामाद के खिलाफ दर्ज कराई FIR, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
UP News: लव मैरिज करने वालों के खिलाफ परिवार द्वारा ही फर्जी मुक़दमे दर्ज कराए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खेद जताया है, और कहा आज़ादी के 75 साल बाद भी इस सामाजिक बुराई की जड़ें गहरी हैं
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव मैरिज करने वाले युवा जोड़ों के खिलाफ उनके ही परिवार द्वारा फर्जी क्रिमिनल केस दर्ज कराकर उनका उत्पीड़न कराए जाने के मामले में गहरी चिंता जताते हुए तीखी टिप्पणी की है.अदालत ने इस मामले में कहा है कि यह बेहद चिंता की बात है कि आज़ादी के पचहत्तर साल बाद भी बालिग़ युवा अपनी पसंद से शादी नहीं रचा पाते हैं.हाईकोर्ट ने इस मामले में अपनी गहरी पीड़ा जताते हुए इसे बड़ी सामाजिक बुराई बताया है.अदालत ने कहा है कि इस सामाजिक बुराई की जड़ें इतनी गहरी हैं कि जन्म देने वाले माता पिता ही परिवार व समाज के दबाव में उनके जीवनसाथी के खिलाफ फर्जी मुक़दमे दर्ज करा देते हैं.
आरोपी सागर की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि वह और उसने जिस युवती से शादी की है, दोनों बालिग हैं. दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की है.उनका एक बच्चा भी है.कोर्ट में बताया गया कि सागर की पत्नी के परिवार उनके रिश्ते से खुश नहीं थे. इसलिए उन्होंने फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है. अदालत ने सागर की अर्जी को मंजूर करते हुए आपराधिक मुक़दमे को रद्द कर दिया है.
अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए परिवार के करीबी लोगों द्वारा ही इस तरह से फर्जी मुक़दमे दर्ज कराए जाने पर अपनी पीड़ा भी जताई है.अदालत ने कहा है कि यह ऐसी स्थिति हो गई है जिसमे परिवार के लोग विरोधियों की तरह परेशान करते हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि आज़ादी के पचहत्तर साल बाद भी ये हाल तब है जब क़ानून बिना शादी के भी बालिग़ जोड़ों को साथ रहने का अधिकार देता है.
'कोर्ट ने मुकदमें को किया रद्द'
अदालत ने आरोपी प्रेमी के खिलाफ अपहरण व पाक्सो एक्ट के तहत चल रहे आपराधिक मुक़दमे को रद्द कर दिया है. जस्टिस प्रशांत कुमार की सिंगल बेंच में सागर नाम के आरोपी प्रेमी की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है.मामले के मुताबिक़ सागर ने जालौन जिले के नदीगांव थानाक्षेत्र में रहने वाली एक युवती से लव मैरिज किया था. युवती के परिवार वालों को बेटी का यह फैसला मंजूर नहीं हुआ और उन्होंने सागर के खिलाफ तीन दिन बाद अगस्त 2022 को गंभीर धाराओं में आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस जांच में पाक्सो एक्ट की धाराएं भी बढ़ाकर अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई. मुक़दमे का ट्रायल शुरू होने पर सागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर आपराधिक मुक़दमे को रद्द किये जाने की गुहार लगाई थी.
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