UP News: 'बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करना संतान का नैतिक कर्तव्य', इलाहाबाद HC की सुनवाई के दौरान टिप्पणी
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया. एक बुजुर्ग पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग माता पिता की देखभाल करना संतान का नैतिक कर्तव्य है.
Prayagraj News: बुजुर्ग माता पिता की देखभाल न करने वाले युवाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से एक अहम टिप्पणी की गई है. हाईकोर्ट का कहना है कि हमारे भारतीय समाज में बुजुर्ग माता पिता की देखभाल को नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य बताया गया है. कोर्ट का कहना है कि वर्तमान समय में हमारे देश का युवा बहक गया है. जो अपने माता-पिता की सेवा करने के बजाए उनके बूढ़ा होने पर भी अकेला छोड़ देता है.
हाईकोर्ट का कहना है कि हमें अपने बुजुर्ग माता पिता की देखभाल के लिए अपने नैतिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि भारत देश महान श्रवण कुमार की भूमी है. जहां रामायण में जिक्र है कि श्रवण कुमार ने अपने कंधों पर बैठाकर अपने बुजुर्ग माता पिता को तीर्थ यात्रा कराई थी. हाईकोर्ट का कहना है कि आज के युवाओं को श्रवण कुमार से सीखने की जरूरत है.
बुजुर्ग छविनाथ की याचिका पर सुनवाई
दरअसल प्रयागराज के हंडिया के रहने वाले बुजुर्ग छविनाथ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अपनी याचिका में उन्होंने बताया कि देखभाल और भावनात्मक आश्रय देने के बजाय उनके बेटों ने उन्हें परेशान किया. बुजुर्ग छविनाथ ने याचिका में बताया कि उनके बेटे उनकी देखभाल नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनकी संपत्ति पर अधिकार मांग रहे हैं और उन्हें ही उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया गया है.
एसडीएम को दिए खास निर्देश
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई कर संबंधित एसडीएम को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह में सभी पक्षों को सुनकर कानून के अनुसार निर्णय लें. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 का भी जिक्र किया है.
माता पिता की देखभाल करना बच्चों का कर्तव्य
जस्टिस महेश चंद्र चतुर्वेदी और जस्टिस प्रशांत कुमार की डिविजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति हासिल करना चाहते हैं और उनकी संपत्ति हासिल करने के बाद वह अपने बुजुर्ग माता पिता की देखभाल करने के बजाए उन्हें छोड़ देते हैं. कोर्ट का कहना है कि बुजुर्ग माता पिता की देखभाल करना और उनकी गरिमा को बनाए रखने और बुढ़ापे में उनका सम्मान बनाए रखने के लिए उनके बच्चे बाध्य हैं.
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