प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार व आयकर विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है कि आयकर अपीलीय अधिकरण प्रयागराज में स्थायी सदस्य की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है और सदस्य की नियुक्ति न कर अधिकरण के कार्य में क्यों अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है? कोर्ट ने केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को अगली सुनवाई की तिथि 9 सितम्बर तक कारण बताते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.


इलाहाबाद विकास प्राधिकरण ने दी थी याचिका


यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है. याची प्राधिकरण के खिलाफ आयकर विभाग ने वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक तीन वर्ष के बकाये क्रमशः 8 करोड 2 लाख 34 हजार 129 रुपये,10 करोड 85 लाख 93 हजार 859 रूपये एवं 18 करोड 11 लाख 45 हजार 949 रूपये की वसूली नोटिस जारी की है.


इसके खिलाफ विभागीय अपील खारिज कर दी गयी तो अपीलीय अधिकरण में अपील दाखिल की गई है. किन्तु सदस्य न होने के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही है. जिसपर यह याचिका दाखिल की गयी है.


याची प्राधिकरण का कहना है कि स्थायी सदस्य की नियुक्ति न किये जाने से अपीलीय अधिकरण कार्य नहीं कर रहा है. दूसरी तरफ आयकर विभाग वसूली का दबाव बना रहा है. बिना अपील की सुनवाई के जबरन भारी धनराशि की वसूली होने से प्राधिकरण के विकास कार्य प्रभावित होंगे.


11 दिन हुई सुनवाई


याचिका में आयकर अपीलीय अधिकरण प्रयागराज में स्थायी सदस्य की नियुक्ति का केन्द्र सरकार को निर्देश जारी करने की मांग की गयी है. कोर्ट ने विभाग से जानकारी मांगी तो विभाग के वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल व गौरव महाजन ने बताया कि अधिकरण में समय आने पर पीठ बैठती है. पिछले एक साल में 11 दिन प्रयागराज में पीठ ने बैठकर मुकदमा सुना है.


याची अधिवक्ता आशीष बंसल ने कहा कि प्रयागराज अधिकरण का पूर्वी उ प्र के सभी जिलों का क्षेत्राधिकार है. स्थायी सदस्य की नियुक्ति न किये जाने से अपीलीय अधिकरण कार्य नहीं कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ है. वैसे भी हाईकोर्ट में पहले से भारी मुकदमों का बोझ है. अधिकरण के कार्य न करने से अनावश्यक याचिकाएं दाखिल हो रही हैं.


कोर्ट ने कहा कि विभाग ने यह नहीं बताया कि आयकर अपीलीय अधिकरण प्रयागराज कार्य क्यों नहीं कर रहा है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और कहा है कि यह सरकार की विफलता है. अधिकरण का कार्य न करना न्याय देने से इंकार करना है और टैक्स दाता का उत्पीड़न करना है. केन्द्र सरकार की तरफ से अपर सालीसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह ने पक्ष रखा. कोर्ट ने अधिकरण के सदस्य की नियुक्ति न करने का कारण हलफनामे के मार्फत बताने का निर्देश दिया है.


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