इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान साफ किया कि किसी भी हाल में बीपीएड डिग्री धारक व्यक्ति प्राइमरी स्कूल के असिस्टेंट टीचर (सहायक शिक्षक) के पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि प्राइमरी स्कूलों में सहायक शिक्षक का पद पाने के लिए जरूरी है कि कैंडिडट ने ग्रेजुएशन के साथ ही बीटीसी/एचटीसी/सीटी या इनके समकक्ष कोई डिग्री ली हो. तभी उसे ये पद दिया जा सकता है. किसी भी स्थिति में ऐसा व्यक्ति जिसके पास बीपीएड की डिग्री हो उसे असिस्टेंट टीचर नहीं बनाया जा सकता.
गोंडा के एक व्यक्ति के केस की हो रही थी सुनवाई
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने उस दलील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया जिसमें बीपीएड किए एक व्यक्ति ने गोंडा के प्राइमरी स्कूल से सहायक शिक्षक के पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए अर्जी दायर की थी. बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘प्राइमरी सेक्शन में बच्चे क्लास एक से पांच में पढ़ते हैं इसलिए इन्हें पढ़ाने के लिए टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत होती है.’ कोर्ट ने ये भी कहा कि किन्हीं वजहों से ही असिस्टेंट टीचर की नियुक्ति के समय विशेष प्रकार की शैक्षिक योग्यता की मांग की जाती है, जिसमें बीपीएड की डिग्री नहीं आ सकती.
बीटीसी कैंडिडेट न मिले तो बीएड वालों को दे मौका
कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर किसी वजह से बीटीसी किए कैंडिडेट न मिलें तो बीएड किए कैंडिडेट्स की नियुक्ति हो सकती है लेकिन बीपीएड किए कैंडिडेट की किसी सूरत में नहीं. गोंडा के इस याचिका कर्ता ने बीपीएड की डिग्री होने के बावजूद गोंडा के प्राइमरी स्कूल से असिस्टेंट टीचर के पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए अर्जी दी थी.
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