UP News: रेप के बढ़ते मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की तल्ख टिप्पणी आई है. हाईकोर्ट ने कहा कि रेप के मामले में जमानत अर्जी पर विचार करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए. यौन अपराध संबंधित मामलों में आरोपियों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. अदालतों को आरोपियों का पक्ष गंभीरता से सुनना चाहिए. जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने वाराणसी के विवेक कुमार मौर्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की. विवेक कुमार मौर्य के खिलाफ रेप, छेड़खानी, अपहरण और पॉक्सो एक्ट का सारनाथ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. अदालत ने एफआईआर में दिए गए तथ्यों को गलत मानते हुए आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. जस्टिस सिद्धार्थ की सेंगल बेंच ने कहा कि थानों और अदालतों में आने वाले ज्यादातर मामले झूठे और फर्जी होते हैं.


रेप के बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी


लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद झूठे मुकदमे दर्ज कराकर अनुचित लाभ उठाने के बड़ी संख्या में मामले आ रहे हैं. जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा कि कानून भी पुरुषों के प्रति बहुत ज्यादा पक्षपाती है. फर्जी मामलों के बीच वास्तविक केस अब अपवाद स्वरूप ही सामने आते हैं. हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया, फिल्म-टीवी शो के जरिए फैलाई जा रही खुलेपन की संस्कृति पर भी चिंता जताई. उसने कहा कि खुलेपन की संस्कृति की चपेट में लड़के और लड़कियां आ रहे हैं. लड़की की तरफ से परिवार के सम्मान की रक्षा की खातिर झूठी और फर्जी एफआईआर दर्ज करा दी जाती है.


एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में भी हो सुधार


ज्यादातर मामलों में एफआईआर बेहद सावधानीपूर्वक और सटीकता के साथ तैयार की जाती है. मजबूत केस बनाकर कड़ी सजा दिलाने के लिए गलत तरीके से एफआईआर में आरोप शामिल किए जाते हैं. क्लर्क-मुंशी और वकील के फर्जी आरोप से आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है. हाईकोर्ट ने यौन अपराध संबंधित एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया. उसने कहा कि थानों में लिखित आवेदन देकर एफआईआर के जरिए फंसाने का खतरा बरकरार रहता है. जस्टिस सिद्धार्थ ने फैसले में कहा कि यौन अपराध से जुड़े मामलों के निपटारे में बेहद सतर्कता बरती जानी चाहिए.


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