Prayagraj News: पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को HC से झटका, कोर्ट ने CBI को मामले की जांच सौंपने का दिया आदेश
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट से इंजीनियर यादव सिंह को झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं इस मामले को सीबीआई की जांच सौपने का आदेश दिया है.
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Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट से नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट गाजियाबाद के 21 दिसंबर 2013 के आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार किया है.कोर्ट ने धारा 88 के तहत पूरक चार्जशीट में जमानत बांड स्वीकार करने से इंकार किया है. कोर्ट ने कहा है कि यादव सिंह सी आर पी सी की धारा 88 का लाभ पाने के हकदार नहीं है.वे नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकते है. यदि जमानत अर्जी देते हैं तो विशेष अदालत नियमानुसार तय करेगा. वहीं पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की याचिका खारिज हुई है.
जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. याचिका पर सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय कुमार यादव ने याचिका का विरोध किया है.कोर्ट ने कहा कि पूरक चार्जशीट अलग करार बांड से संबंधित है. कुल 1280 करार बांड 954.38 करोड़ का ठेका दिया गया था.सीबीआई ने तीन चार्जशीट दाखिल की और बाद में अलग करार बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की है. इसमें पहले की चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार जमानत बांड स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था FIR
पूरक चार्जशीट मामले में याची को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है.अब वह धारा 88 के तहत तीन चार्जशीट में जमानत मिलने के आधार पर इसमें भी जमानत बांड स्वीकार करने की मांग नहीं कर सकता. उसे नियमित जमानत अर्जी देनी होगी.हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई कोर्ट के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है.13 जनवरी को थाना सेक्टर 39 नोएडा , गौतमबुद्धनगर में, धोखाधड़ी,गबन , भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.
पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की जिसे जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया.इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दाखिल जनहित याचिका पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है. जिसने याचिका के खिलाफ विभिन्न मामलों में तीन चार्जशीट दाखिल की है. जिसमें आय से अधिक संपत्ति का भी केस बना है. याचिका को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. इसके बाद सीबीआई ने अलग बांड पर पूरक चार्जशीट दाखिल की गई.
जिसमें याची ने धारा 88 के तहत जमानत बांड स्वीकार करने की अर्जी दी गई थी. विशेष अदालत ने अर्जी खारिज कर दी जिसे चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कानून है कि गैर जमानती अपराध में सम्मन जारी किया गया और आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी गई. तो वह धारा 88 का लाभ नहीं ले सकेगा. कोर्ट ने कहा विशेष अदालत का आदेश सही है. याची नियमित जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है.
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