प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। यूपी की पीलीभीत जेल में 24 साल पहले बंद सिख समुदाय के 9 कैदियों को पीट-पीटकर बेरहमी से कत्ल किये जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते सूबे के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत तौर पर तलब कर लिया है।


अदालत ने प्रमुख सचिव गृह को 5 मार्च को निजी तौर पर कोर्ट में पेश होने का समन जारी किया है। अदालत ने उनसे यह बताने को कहा है कि 14 साल पहले तत्कालीन मुलायम सरकार ने किस आधार पर सामूहिक हत्याकांड के आरोपी जेल कर्मचारियों का मुकदमा वापस लेने का फैसला किया था। मौजूदा सरकार 14 साल पहले के फैसले पर कायम है या फिर वह मुकदमा वापस लेने के फैसले को वापस लेना चाहती है।


जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने 26 फरवरी को प्रमुख सचिव गृह से हलफनामा दाखिल करने को कहा था, लेकिन कोर्ट में उनका जवाब दाखिल नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए डिवीजन बेंच ने समन कर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर तलब कर लिया है।



गौरतलब है कि टाडा कानून के तहत पीलीभीत जेल में कई सिखों को साल 1996 में रखा गया था। जुलाई महीने में एक रात को अचानक उन्हें बैरकों से बाहर निकालकर बुरी तरह पीटा गया। इसमें सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। इस मामले में जेलर से वार्डन तक कुल 42 कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।


मामले की जांच सीबीसीआईडी ने की थी। सीबीसीआईडी ने जेल कर्मियों को ही हत्या का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में अदालत का फैसला आने से पहले ही साल 2006 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने आरोपियों का केस वापस ले लिया था। ट्रायल कोर्ट ने भी मुकदमा वापसी के फैसले को मंजूरी दे दी थी। इसके खिलाफ पीड़ित परिवारों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। अदालत ने इसी मामले में प्रमुख सचिव गृह से जवाब तलब किया था।