Child Protection Home News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राजधानी के प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बाल संरक्षण गृह में रह रहीं चार बच्चियों की मौत पर नाराजगी जाहिर की है. पीठ ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में अगले तीन हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.


न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने 17 फरवरी को पारित आदेश में कहा कि प्रतिवादी स्पष्ट रूप से यह बताएं कि पूरे राज्य में बाल संरक्षण गृहों में भविष्य में इस तरह की घटनाएं न घटें, यह सुनिश्चित करने के लिए उनकी तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे हैं. पीठ ने शिवनाथ मिश्रा द्वारा एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. 


अदालत ने माना गंभीर लापरवाही


गौरतलब है कि राजकीय बाल संरक्षण गृह में इन बच्चियों की मौत की खबर प्रकाशित हुई थी. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस याचिका में दिए गए तथ्य बहुत गंभीर है और प्रथम दृष्टया राज्य के अधिकारियों की तरफ से अक्षम्य अशिष्टता को दिखाता है, क्योंकि वे अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में पूरी तरह से विफल होते दिख रहे हैं, जिसकी की कीमत इन चार बच्चियों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. 


अधिकारियों ने गुरुवार को कहा था कि पिछले पांच दिनों में कथित तौर पर ठंड की वजह से चार बच्चियों की मृत्यु के बाद राजकीय बाल संरक्षण गृह के अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया है. जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह ने कहा था कि इस घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं और अधीक्षक किनशुक त्रिपाठी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. 


ठंड से बच्चियों की हुई थी मौत!


इस बाल संरक्षण गृह में 10 से 14 फरवरी के बीच चार बच्चियों की कथित तौर पर ठंड लगने से मौत हो गई थी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने इस आरोप को पूरी तरह से झूठ करार दिया था. उन्होंने कहा था कि इन बच्चियों की मौत ठंड से नहीं हुई थी. उन्होंने कहा था कि इन बच्चियों को बुखार और थैलेसीमिया था और विभिन्न अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा था.


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