प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज हेड कॉन्सटेबल से कॉन्सटेबल के पद पर रिवर्ट ( पदावनत) किए गये सैकडों हेड कॉन्सटेबलों की याचिका पर अब एक अक्तूबर को सुनवाई करने को कहा है. कोर्ट में आज शासन की तरफ से लिखित में प्राप्त जानकारी दी गयी कि इन कान्सटेबिलों के पदावनत आदेश को संशोधित कर दिया गया है.


समझिये पूरा मामला


यह आदेश जस्टिस एके मिश्र ने हेड कॉन्सटेबल पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकडों हेड कॉन्सटेबल की याचिका पर दिया है. याचिका में 9 सितम्बर 2020 व 10 सितम्बर 2020 को पारित डीआईजी स्थापना, पुलिस मुख्यालय, उ प्र व अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय उ प्र के आदेशों को चुनौती दी गयी है. इन आदेशों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 890 हेड कान्सटेबिलों को पदावनत कर आरक्षी बना दिया गया है और उन्हें पीएसी में स्थानांतरित कर दिया गया है. कोर्ट के कहने पर शासन से प्राप्त लिखित इन्स्ट्रक्शन को कॉन्सटेबल की तरफ से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट विजय गौतम को मुहैया कराया गया.


मालूम हो कि प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पिछली तिथि पर इस केस में कोर्ट से तीन दिन का समय मांगा था और कहा था कि हम शासन से इस मामले में आवश्यक जानकारी भी हासिल कर लेंगे. हेड कॉन्सटेबलों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट से पदावनत आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट ने इस मामले में 28 सितम्बर को सुनवाई करने को कहा था.


पीएसी में भेजना गलत


याचिकाओं में मुख्य रूप से कहा गया है कि इतने वृहद स्तर पर हेड कॉन्सटेबल को पदावनत बगैर उन्हें सुनवाई का अवसर दिए करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त के विपरीत है. कहा यह भी गया है कि याचियों को 20 वर्ष के बाद सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजना शासनादेशों के विरूद्ध है.


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