Gyanvapi Case: ASI के सर्वे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टली, अब हाईकोर्ट 30 अक्टूबर को सुनेगा मामला
Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी विवाद मामले की सुनवाई जस्टिस पाड़िया की जगह अब खुद चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर कर रहे हैं. उन्होंने खुद इस मामले को जस्टिस पाड़िया की बेंच से लिया है.
Gyanvapi News: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी. ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से जुड़ी हुई हैं. जबकि दो अर्जियां ASI के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं. 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंप जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था.
हाई कोर्ट को मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. अदालत में पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया था. मुस्लिम पक्ष ने तीन बार जजमेंट रिजर्व होने के बाद फिर से सुनवाई किए जाने के फैसले पर ऐतराज जताया था.
मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई न करने की मांग की
मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि पिछले कई सालों में करीब 75 कार्य दिवसों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. ऐसे में अब इस मामले में फिर से सुनवाई नहीं की जा सकती है. मुस्लिम पक्ष ने उस शिकायत की कॉपी दिए जाने की मांग की थी. जिसके आधार पर मामले की सुनवाई जस्टिस प्रकाश पाड़िया की बेंच से लेकर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर खुद कर रहे हैं.
इसलिए चीफ जस्टिस कर रहे हैं सुनवाई
अदालत ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को पहले ही खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने का फैसला किया है. इन पांचों अर्जियों पर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाड़िया ने 25 जुलाई को जजमेंट रिजर्व कर लिया था. उन्होंने 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाए जाने की तारीख तय की थी. हालांकि फैसला सुनाने से कुछ दिन पहले ही जस्टिस प्रकाश पाड़िया का इलाहाबाद हाई कोर्ट से ट्रांसफर भी हो गया था. मामले की सुनवाई अब चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच कर रही है. चीफ जस्टिस ने 28 अगस्त के आदेश में कहा था कि जस्टिस प्रकाश पाड़िया की बेंच क्षेत्राधिकार नहीं होने के बावजूद इस मामले में सुनवाई कर रही थी.
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