प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा सेक्टर 20 में तैनात रहे इंस्पेक्टर मनोज पंत की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पुलिस के आलाधिकारियों को दोषी मानते हुए अदालत के आदेश का अनुपालन का अंतिम मौका दिया है. कोर्ट ने एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द, पुलिस कमिश्नर नोएडा आलोक सिंह, अपर पुलिस कमिश्नर नितिन तिवारी और तत्कालीन एसएसपी गौतम बुद्ध नगर वैभव कृष्ण को 6 हफ्ते में अदालत के आदेश के अनुपालन का अंतिम मौका देते हुए अवमानना याचिका निस्तारित कर दी है.


जस्टिस एमसी त्रिपाठी की बेंच ने इंस्पेक्टर मनोज पंत की ओर से दोबारा दाखिल की गई अवमानना याचिका पर ये आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने याची को कहा है कि अगर 6 हफ्ते में आदेश का अनुपालन नहीं होता है तो याची दोबारा कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है. अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट विजय गौतम ने याची का पक्ष रखा.


गौरतलब है कि 30 जनवरी 2019 को नोएडा सेक्टर 20 में तैनात रहे इंस्पेक्टर मनोज पंत के खिलाफ उसी थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसमें मनोज पंत पर 4 मीडिया कर्मियों के साथ मिलकर एक अभियुक्त का केस से नाम निकालने के लिए 8 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप था. यह रुपये सेक्टर 20 थाने से बरामद होने के बाद पुलिस ने इंस्पेक्टर और मीडिया कर्मियों को जेल भेज दिया और तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने उन्हें निलंबित कर दिया. जमानत पर रिहा होने के बाद इंस्पेक्टर मनोज पंत ने 30 जनवरी 2019 के अपने निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर कोर्ट ने 30 जुलाई 2019 के एसएसपी के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी और बहाली का आदेश दिया. इसके साथ ही याची को वेतन भुगतान का भी कोर्ट ने आदेश दिया.



तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने इंस्पेक्टर मनोज पंत का निलंबन वापस लेकर पुलिस लाइन से अटैच कर दिया, जिसके खिलाफ मनोज पंत की अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को आदेश पारित किया कि निलंबन आदेश निरस्त हो चुका है. इसलिए, याची की नोएडा में पोस्टिंग के लिए उचित आदेश पारित कर विभागीय कार्रवाई कानून के तहत करें. लेकिन कोर्ट के आदेश का पुलिस के आलाधिकारियों ने पालन नहीं किया और याची इंस्पेक्टर मनोज पंत का तबादला गौतमबुद्ध नगर से गोरखपुर जोन कर दिया. जिस आदेश के खिलाफ याची ने दोबारा कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की. कोर्ट ने इसे गम्भीरता से लेते हुए पुलिस के अधिकारियों को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी माना है और याचिका निस्तारित करते हुए 6 हफ्ते में कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने का आदेश दिया है.


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