Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालयों (higher primary schools) में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में राज्य सरकार (UP government) की स्पेशल अपील पर बहस पूरी हुई. हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद जजमेंट रिजर्व कर लिया है. अदालत में करीब दो घंटे तक चली लंबी बहस के बाद कोर्ट ने जजमेंट रिजर्व किया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा.
राज्य के महाधिवक्ता ने क्या कहा
राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि जुलाई 2017 में याचियों ने 8,470 रुपये मानदेय पर कॉन्ट्रैक्ट किया गया था. उन्होंने इस आधार पर दलील दी कि याची 17 हजार मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 17 हजार मानदेय केवल एक साल के लिए हुआ पास था और कहा अनुदेशकों की एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति होती है.
अनुदेशकों के वकील ने क्या कहा
अनुदेशकों की ओर से सीनियर एडवोकेट एच एन सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने अदालत में अपना पक्ष रखा. उन्होंने याचियों को 17000 का मानदेय दिए जाने की पुरजोर मांग की और अदालत को बताया कि सिंगल बेंच ने याचियों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश भी दिया था.
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पूरा फंड नहीं मिला-राज्य सरकार
इस मामले में लखनऊ बेंच में भी एक याचिका दाखिल है. प्रधान पीठ और लखनऊ बेंच में दाखिल दोनों याचिकाओं पर एक साथ अदालत ने सुनवाई पूरी हुई. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से पूरा फंड नहीं दिया गया है, जबकि केंद्र ने बताया है कि हमने पूरा फंड दे दिया है.
यूपी सरकार ने नहीं किया लागू
प्रदेश के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था, जिसको यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है. मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी. 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने आदेश दिया था.
राज्य ने दाखिल की विशेष अपील
अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9% व्याज के साथ देने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है. याची विवेक सिंह, आशुतोष शुक्ला और भोला नाथ पांडेय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.
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