प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन की पूर्व परीक्षा नियंत्रक अंजूलता कटियार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने अंजू लता कटियार की जमानत अर्जी की सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी एसटीएफ और राज्य सरकार की उस मांग को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने जांच पूरी करने के लिए तीस दिन की मोहलत मांगी है। किसी भी जांच एजेंसी को जांच पूरी करने और चार्जशीट दाखिल करने के लिए संविधान और कानून से 90 दिन की अवधि मिली होती है।


एसटीएफ की ओर से कहा गया कि इस गंभीर मामले में जमानत मिलने के बाद जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, इसलिए जांच के लिए बची समयावधि तीस दिन तक जमानत न दी जाये, जिसे कोर्ट ने इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि इस अवधि में जांच एजेंसी अंजू लता कटियार और दूसरे आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटा सकती है।


जस्टिस रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए एक माह बाद नये सिरे से जमानत याचिका दाखिल करने को कहा है। अंजू लता कटियार की ओर से जमानत याचिका पर बहस के दौरान कहा गया है कि उनके खिलाफ सरकार या फिर जांच एजेंसी के पास कोई सबूत मौजूद नहीं है। इसके साथ ही उनके आवास और कार्यालय में की गई छापेमारी में कोई ऐसा साक्ष्य भी नहीं मिले हैं जिससे पेपर लीक मामले में उनकी संलिप्तता उजागर होती हो। कोर्ट में एसटीएफ की ओर से इस बात को भी रखा गया कि पूर्व परीक्षा नियंत्रक की फोन पर प्रेस मालिक कौशिक कुमार से बात हुई थी। जिस पर अंजू लता कटियार के वकील की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चूंकि साढ़े सात लाख अभ्यर्थी प्रदेश के 29 जिलों में परीक्षा दे रहे थे, इसलिए परीक्षा के कोआर्डिनेशन के लिए प्रेस मालिक से पूर्व परीक्षा नियंत्रक ने फोन पर बात की, जो कि अनुचित नहीं है। इसके साथ ही एसटीएफ की ओर से कोर्ट में ये भी मुद्दा उठाया गया कि एसटीएफ के पेपर लीक मामले में प्रेस की संलिप्पता बताने के बावजूद आयोग ने ठेका कैसे दे दिया गया। इस पर अंजू लता कटियार के अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि प्रेस को प्रिन्टिंग का ठेका आयोग के नियमों के मुताबिक ही दिया गया। कोर्ट में ये भी दलील दी गई कि एसटीएफ के द्वारा ऐसा कोई बात नहीं कही गई थी कि इस शिकायत के बाद प्रिन्टिंग प्रेस को ठेका न दिया जाये।



गौरतलब है कि यूपी एसटीएफ ने यूपीपीएससी द्वारा आयोजित की गई एलटी ग्रेड भर्ती 2018 पेपर लीक मामले में कोलकाता के एक प्रेस मालिक कौशिक कुमार को 28 मई वाराणसी से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उसके बयानों के आधार पर यूपी एसटीएफ ने पूर्व परीक्षा नियन्त्रक के आवास और कार्यालय में 28 मई की रात दो बजे छापेमारी की कार्रवाई की थी और 30 मई को उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया था। जिसके बाद एसटीएफ ने वाराणसी की कोर्ट में पेश किया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम वाराणसी ने 6 जून को जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। जिसके बाद ही पूर्व परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली थी।