UP News: साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के खुदकुशी मामले (Mahant Narendra Giri suicide Case) से जुडी बड़ी खबर सामने आई है. खुदकुशी की एफआईआर दर्ज कराने वाले शिष्यों ने केस वापस लेने की अर्जी लगाई है. कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि अपनी तरफ से दर्ज की गई एफआईआर (FIR) पर वह कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं.वह अपनी तरफ से दर्ज की गई एफआईआर वापस लेना चाहते हैं. माना जा रहा है कि अब इससे आरोपी आनंद गिरि (Anand Giri) को राहत मिल सकती है.
शिकायतकर्ता अमर गिरि और पवन महाराज ने एफआईआर पर ही सवाल उठाए हैं. एफिडेविट में कहा गया है कि हमने पुलिस को सिर्फ महंत नरेंद्र गिरि की मौत की सूचना दी थी. हमने न खुदकुशी का शक जताया था और न ही हत्या का, हमने पुलिस में आनंद गिरि समेत किसी भी आरोपी का नाम तक नहीं लिया था. हम किसी का नाम देकर उसे बेवजह फंसाना नहीं चाहते थे.
एफिडेविट में कही ये बात
शिकायतकर्ताओं ने अपने एफिडेविट में साफ तौर पर लिखा है कि उन्होंने किसी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई थी. पुलिस को सिर्फ महंत नरेंद्र गिरि का शरीर शांत होने की सूचना भर दी थी. एफिडेविट में कहा गया है कि उनके नाम से जो एफआईआर दर्ज की गई है, उसे वह वापस लेना चाहते हैं. वह नहीं चाहते कि उनकी एफआईआर के आधार पर किसी को बेवजह फंसाया जाए या फिर उसे परेशान किया जाए.
एफिडेविट में कहा गया कि हमने किसी व्यक्ति विशेष को कोई घटना करते या उसमे शामिल होते नहीं देखा है. हमें भी एक दिन ईश्वर के पास जाकर जवाब देना है, इसलिए वह यह एफिडेविट दे रहे हैं.पांच पन्ने का यह हलफनामा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है. एफिडेविट के हर पन्ने पर प्रथम सूचनाकर्ता अमर गिरि के दस्तखत हैं. मुख्य आरोपी आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अमर गिरि और पवन महाराज का यह हलफनामा हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है.
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि वह अपना मुकदमा वापस लेने और किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहने का एफिडेविट ट्रायल कोर्ट में भी देंगे. अमर गिरि और पवन महाराज दोनों ही महंत नरेंद्र गिरि के करीबी और वफादार शिष्यों में थे. दोनों बाघम्बरी मठ द्वारा संचालित संगम किनारे स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर के पुजारी हैं. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि घटना के वक्त वह लोग मंदिर में थे. वहीं उन्हें महंत नरेंद्र गिरि का शरीर शांत होने की सूचना मिली थी और यही इतनी जानकारी उन्होंने पुलिस को दी थी.
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