प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जिस छात्रसंघ उपाध्यक्ष के निलंबन के खिलाफ ट्वीट कर आवाज उठाई थी, उस पर युनिवर्सिटी प्रशासन का शिकंजा और कस गया है। प्रियंका के ट्वीट के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रसंघ उपाध्यक्ष को कोई राहत देने के बजाय अब उसके कैंपस में दाखिल होने पर ही पाबंदी लगा दी है और साथ ही पुलिस में एफआईआर भी कर दी है। सख्ती का शिकार हुए उपाध्यक्ष अखिलेश यादव का साफ आरोप है कि उसे प्रियंका गांधी का समर्थन मिलने की वजह से निशाना बनाया गया है, जबकि युनिवर्सिटी प्रशासन की दलील है कि कैंपस पढ़ाई की जगह है, बड़े नेताओं का नाम लेकर सियासत करने की नहीं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी अपने संगठन से जुड़े अखिलेश यादव को बचाने के लिए आगे क्या कदम उठाती हैं।


इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहचान अगर पढ़ाई से है तो साथ ही यहां के छात्रसंघ से भी। बेहतरीन पढ़ाई की वजह से इसे पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था तो मजबूत व सक्रिय छात्रसंघ की वजह से सियासत की नर्सरी। पूर्व राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, चंद्रशेखर और गुलजारी लाल नंदा के साथ ही नारायण दत्त तिवारी, मदन लाल खुराना जैसे तमाम नेताओं ने सियासत की एबीसीडी यहीं के छात्रसंघ से सीखी थी। लेकिन इस सेंट्रल यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ अब अतीत का हिस्सा व इतिहास बन चुका है।



यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रसंघ को खत्म कर अब इसकी जगह छात्र परिषद गठित करने का फैसला लिया है। इसके खिलाफ जिस भी छात्रनेता ने आवाज उठाई, यूनिवर्सिटी प्रशासन उन सब पर शिकंजा कस रहा है।


कई पदाधिकारियों व दूसरे छात्र नेताओं का निलंबन कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए। कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े छात्रसंघ के उपाध्यक्ष अखिलेश यादव को भी आवाज उठाने के एवज में पहले निलंबित किया गया और उसके बाद उनके यूनिवर्सिटी व इससे जुड़े किसी भी कालेज में किसी भी नये कोर्स में एडमिशन लेने पर पाबंदी लगा दी गई।


यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आवाज उठाई। उन्होंने ट्वीट कर इसका विरोध किया और छात्रसंघ खत्म किये जाने व उपाध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत बताते हुए उस पर सवाल खड़े किये। उम्मीद यह जताई जा रही थी कि प्रियंका जैसी नेता के आवाज उठाने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन अखिलेश के प्रति नरमी बरतते हुए उसके खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस ले सकता है, लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब उपाध्यक्ष अखिलेश यादव के यूनिवर्सिटी के सभी कैंपस समेत इससे जुड़े किसी भी डिग्री कालेज में दाखिल होने पर ही पाबंदी लगा दी है। इतना ही नहीं अनुशासनहीनता व हंगामा करने के आरोप में उसके खिलाफ एफआईआर भी करा दी है। अखिलेश यादव का साफ़ कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन केंद्र व यूपी सरकारों के दबाव में है और उसने प्रियंका के दखल के चलते सियासी वजहों से उसके खिलाफ कार्रवाई की है।


दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले में अपनी अलग दलील पेश कर रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि अखिलेश आए दिन धरना प्रदर्शन व हंगामा करते थे, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। युनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर प्रोफ़ेसर राम सेवक दुबे के मुताबिक़ कार्रवाई नियमों के मुताबिक़ ही हुई है और उसमे कोई भेदभाव नहीं किया गया है। उनका कहना है कि बड़े नेता के साथ नाम जोड़कर किसी भी छात्र को न तो सियासत करने का हक है और न ही वह इस बहाने बच सकता है।


इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी इन दिनों सियासत का अखाड़ा बनी हुई है। छात्रसंघ को खत्म किये जाने के खिलाफ प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद खुद बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर भी इस मामले को लोकसभा में उठा चुके हैं। अब देखना यह होगा कि प्रियंका गांधी एनएसयूआई से जुड़े छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ हुई एक और कार्रवाई पर क्या कदम उठाती हैं और किस तरह उनकी मदद करती हैं।