Almora Bus Accident News: उत्तराखंड में हाल ही में हुए एक भीषण बस हादसे ने प्रदेश के सड़कों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.अल्मोड़ा जिले के मरचूला-सतपुली मार्ग पर हुए इस हादसे में 36 लोगों की जान चली गई. जिसके बाद राज्य सरकार ने इस दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) पर सवाल उठाए और मार्ग पर क्रश बैरियर जैसे सुरक्षा उपायों की कमी की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति को तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.
इस सड़क पर दुर्घटना से पहले ही,यानी मार्च 2024 में, क्रश बैरियर, पैरापिट और अन्य सुरक्षा कार्यों के लिए स्वीकृति दी गई थी. लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी इन कार्यों की शुरुआत नहीं की गई, जिससे दुर्घटना के बाद सुरक्षा उपायों की लापरवाही का मामला और अधिक गंभीर हो गया है. हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हादसे की जांच एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जाए, जो यह निर्धारित करेगी कि सड़क सुरक्षा कार्यों में देरी के लिए कौन जिम्मेदार है और इसके कारण क्या हैं.
जांच समिति की जिम्मेदारियां और कार्य
इस समिति को यह सुनिश्चित करना है कि मार्च में स्वीकृत किए गए सुरक्षा कार्यों,जिनमें क्रश बैरियर और पैरापिट शामिल हैं,इनके न लगने की वजह से हुई लापरवाही की जांच हो. समिति से अपेक्षा की गई है कि वह मार्ग की सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले कार्यों में देरी के कारणों को समझे और यह निर्धारित करे कि इसके लिए कौन से अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हैं. साथ ही, समिति को दोषी अधिकारियों के नाम और पदनाम भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके.
लोक निर्माण विभाग की जवाबदेही पर सवाल
अल्मोड़ा में हुई इस बस दुर्घटना ने प्रदेश के सड़कों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर कर दिया है. इस हादसे के बाद लोक निर्माण विभाग की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं,खासकर जब यह स्पष्ट हो गया कि मरचूला-सतपुली मार्ग पर क्रश बैरियर जैसे सुरक्षा उपाय महीनों पहले स्वीकृत किए जा चुके थे,लेकिन उनका कार्यान्वयन अब तक नहीं हुआ.सरकार द्वारा गठित जांच समिति यह भी जांचेगी कि आखिर किन कारणों से इन सुरक्षा उपायों के लिए दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया और क्या यह देरी मानवीय लापरवाही का परिणाम थी.
सुरक्षा उपायों को लेकर पहले ही निर्देश हुए थे जारी
मुख्य सचिव स्तर से मार्गों पर सुरक्षा उपायों को लेकर पहले ही निर्देश जारी किए गए थे.वहीं यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की थी. इस दुर्घटना के बाद सरकार ने अपने अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि सुरक्षा उपायों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह भी ध्यान दिया जाएगा कि अन्य क्षेत्रों में भी जहां सड़कों पर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है,वहां कार्य शीघ्रता से हो.
अगले कदम और भविष्य की योजनाएं
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2025 तक सभी राज्यमार्गों और अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर क्रश बैरियर, पैरापिट और अन्य आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू किया जाए. इसके तहत लोक निर्माण विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी जिलों में सड़क सुरक्षा कार्यों का सर्वेक्षण करें और आवश्यक डेटा प्रस्तुत करें.सचिव डॉ. पंकज पांडेय ने इस संबंध में जिलाधिकारियों से कहा है कि वे एक सप्ताह के भीतर उन मार्गों की जानकारी प्रस्तुत करें.जहां सड़क सुरक्षा कार्य लंबित हैं या कार्य किए जाने की आवश्यकता है.
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