Almora Bus Accident: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में 36 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 27 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं. इस घटना के बाद घायलों को उपचार के लिए रामनगर के रामदास जोशी अस्पताल में लाया गया, जहां उपचार में आ रही समस्याओं को लेकर स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन पर नाराजगी जताई. बताया जा रहा है कि इस अस्पताल को सरकार ने पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित करने का अनुबंध किया हुआ है, जिस पर पहले से ही स्थानीय लोग असंतोष व्यक्त करते आए हैं.
घायलों को अस्पताल में लाने के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से इलाज मुहैया नहीं हो सका, जिसके चलते उनमें से कई लोगों को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर करना पड़ा. ऐसे में अस्पताल की सीमित सुविधाओं को लेकर स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा. लोगों का कहना था कि इस अस्पताल में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है और यहां मरीजों को बेहतर उपचार की सुविधा नहीं मिल पाती है. दुर्घटना के बाद हालात को देखते हुए जब घायलों को उच्च चिकित्सा केंद्रों के लिए भेजा गया, तो यह बात स्थानीय लोगों के गुस्से का कारण बनी.
CM धामी ने जाना घायलों का हालचाल
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पौड़ी के सांसद अनिल बलूनी भी रामनगर पहुंचे और घायलों का हालचाल लिया. हालांकि, उनकी मौजूदगी के बावजूद, अस्पताल की स्थिति को लेकर स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से अनुबंध बढ़ाए जाने के बावजूद अस्पताल में सुधार नहीं किया गया है, जिससे दुर्घटना जैसी स्थिति में लोगों को इलाज में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं.
भाजपा विधायक दिलीप सिंह रावत ने भी अस्पताल को पीपीपी मोड से संचालित करने के सरकार के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की. उनका कहना था कि वे पहले भी इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठा चुके हैं, और अस्पताल को पीपीपी मॉडल से हटाने की मांग की थी, फिर भी अनुबंध को बढ़ा दिया गया. रावत ने अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां मरीजों को सामान्य उपचार भी नहीं मिल पा रहा है.
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और नेताओं की ओर से अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि अस्पताल को सरकार के अधीन ही चलाया जाए ताकि स्थानीय मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें. वर्तमान में यह अस्पताल पीपीपी मोड पर संचालित होने के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और इस दुर्घटना ने उन चिंताओं को और बढ़ा दिया है.
'घायलों के इलाज को दी जा रही प्राथमिकता'
वहीं, नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने कहा कि अभी घायलों के इलाज को प्राथमिकता दी जा रही है और सभी अधिकारी इसी कार्य में व्यस्त हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि दुर्घटना में घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी, और अन्य मुद्दों पर बाद में विचार किया जाएगा. इस घटना ने न सिर्फ उत्तराखंड में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राज्य के अस्पतालों में संसाधनों की कमी को भी उजागर किया है. स्थानीय लोगों ने उम्मीद जताई है कि सरकार इस हादसे के बाद अस्पताल की स्थिति में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगी.
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