UP News: राजधानी लखनऊ से 217 किलोमीटर दूर अंबेडकरनगर में अजीबो गरीब मामला सामने आया है. पत्र में 'निर्देशित' शब्द को लेकर दो अधिकारियों के बीच लड़ाई शुरू हो गयी. विवाद बढ़ता देख जिलाधिकारी अविनाश सिंह को दखल देना पड़ा. जलालपुर तहसील में 16 सितंबर को तत्कालीन एसडीएम सुनील कुमार ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एमके अनिल को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने लिखा, ''अवगत कराना है कि मालीपुर से जलालपुर सड़क मार्ग के किनारे झाड़ियां और पेड़ की शाखाएं लटकी हुई हैं. झाड़ियों और शाखों की वजह से सड़क मार्ग पर हादसे की आशंका है.'' एसडीएम ने पत्र में आगे लिखा, ''आपको 'निर्देशित' किया जाता है कि सड़क मार्ग पर किनारे लटकी हुई झाड़ियां और पेड़ की शाखाओं को साफ कराना सुनिश्चित करें.''


'निर्देशित' शब्द पर दो अधिकारियों में भिड़ंत


जवाब देते हुए अधिशासी अभियंता एमके अनिल ने 22 सितंबर को एसडीएम को संबोधित पत्र में लिखा, "आपका चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से किया गया है. आप द्वितीय श्रेणी 'ख' के अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से मेरा चयन पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता पद पर हुआ है और मैं प्रथम श्रेणी 'क' का अधिकारी हूं.'' अनिल ने कहा, "कृपया स्पष्ट करें कि उत्तर प्रदेश सरकार की किस नियमावली के तहत द्वितीय श्रेणी का एक अधिकारी प्रथम श्रेणी के एक अधिकारी को 'निर्देश' दे सकता है." पीडब्ल्यूडी के अभियंता ने जवाबी पत्र में जानना चाहा कि क्या आपने जलालपुर-मालीपुर सड़क को झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं से मुक्त करने के लिए बजट उपलब्ध कराया है.


जिलाधिकारी की दखल के बाद सुलझा विवाद


अनिल ने पत्र में एसडीएम से पूछा कि झाड़ी और शाखाओं की सफाई के लिए धनराशि का उपयोग किस मद में किया जाएगा. जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने शनिवार को न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया, ''एसडीएम और लोक निर्माण विभाग के अभियंता से बात की गयी है. दोनों पक्षों की ओर से बताया गया कि मामला मुद्रण संबंधी त्रुटि थी. गलत संचार के कारण दोनों में विवाद की स्थिति पैदा हुई. सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत से मुद्दे को हल कर लिया गया है."


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