Ambedkar Nagar के गांवों में घाघरा मचा रही तबाही, दर्जनों गांव पानी से घिरे, मदद की आस लगाए बैठे लोग
UP News: गांव की एक वृद्ध महिला की मौत हुए 34 घंटे से अधिक समय हो गया है लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है क्योंकि उसके रिश्तेदार और परिजन बाढ़ की वजह से नहीं पहुंच पाए.
Uttar Pradesh News: यूपी के अम्बेडकरनगर (Ambedkar Nagar) में घाघरा (Ghaghra river) पूरे उफान पर है जिसके कारण जिले के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं. कई गांव का संपर्क टूट गया है तो कई गांव टापू बन गए हैं. टाण्डा तहसील क्षेत्र में पड़ने वाले मांझा उल्टहवा का भी ऐसा ही कुछ हाल है. 2 हजार से ज्यादा आबादी का यह गांव टापू बन गया है. गांव का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है. गांव तक पहुंचने के लिए सिर्फ नाव ही सहारा है. हालत यह हैं कि एक बुजुर्ग महिला की मौत कल से हुई है लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं हों पा रहा है, उसका शव गांव की पगडंडी पर पड़ा हुआ है क्योंकि गांव तक लोग पहुंच नहीं पा रहे हैं और न ही प्रशासनिक मदद ही पहुंच पा रही है. प्रशासन मदद के लिए बाढ़ चौकी पर आने की बात करता है. दो दिन पूर्व डीएम का बयान भी वायरल हुआ था जिसमें वे कह रहे थे कि हम जोमैटो सर्विस नहीं चला रहे हैं कि घर घर खाना पहुंचाएंगे.
नहीं मिल पा रही मदद
जिले के टांडा और आलापुर तहसील के डेढ़ दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं जिसमें से मांझा का क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है. मांझा उल्टाहवा गांव टापू में तब्दील हो गया है. इसका संपर्क पूरी तरह से टूट गया है. इस समय सिर्फ वहां पहुंचने का एक साधन है नाव. नाव के सहारे ही लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव में पहुंचा जा सकता है. इसके कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ रही है. गांव की एक वृद्ध महिला की मौत हुए 34 घंटे से अधिक समय हो गया है लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है क्योंकि उसके रिश्तेदार और परिजन नहीं पहुंच पाए. प्रशासन से भी कोई मदद नहीं पहुंच पाई. जो लोग बाढ़ चौकियों या राहत शिविरों में पहुंच गए हैं उनको तो कुछ मदद मिल भी जा रही है लेकिन जो गांव में ही रुके उनको मदद नहीं मिल पा रही है. गांवों के अलावा शहरी क्षेत्रों को भी बाढ़ ने प्रभावित किया है.
फसलें हुईं बरबाद
बाढ़ से प्रभावित लोगों को प्रशासनिक मदद पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. लोगों को राहत सामग्री बांटी जा रही है तो वहीं गांव के बाहर मेडिकल कैम्प और राहत शिविर भी लगाया गया है. राहत शिविर में ठहरने वालों के लिए गांव के कोटेदार के घर पर भोजन की व्यवस्था भी की जा रही है, जहां पर लोग भोजन करते है. गांव के प्रधान ने बताया कि, हालात बद से बदत्तर हैं. पूरा गांव पानी की चपेट में है और कई एकड़ फसलें बर्बाद हो गयी हैं. प्रशासनिक मदद लोगों को मुहैया कराई जा रही है लेकिन यह मदद नाकाफी है. कुछ लोगों को गांव से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है लेकिन अभी भी कई परिवार गांव में ही हैं और ऐसे लोगों को नाव के जरिये मदद पहुंचाई जा रही है.