बिजनौर में खस्ताहाल पड़ी लाखों रुपये की एम्बुलेंस, नहीं ली गई अभी तक कोई सेवा
उत्तर प्रदेश में नगर पालिका परिषद के अधिकारियों की गलती के कारण जनता के पैसों की बर्बादी हो रही है. यहां जनता की मदद के लिए मांगाई गई लाखों रुपये की एंबुलेंस को धूल फांकते हुए देखा जा सकता है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है. इसका जीता जागता उदाहरण जनपद बिजनौर के स्योहारा नगर पालिका परिषद में देखने के मिल रहा है. यहां जनता की सेवा के लिए लाई गई एम्बुलेंस का एक साल होने के बाद भी उसका संचालन नहीं किया जा सका है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लगभग साढ़े सात लाख रुपये कीमत की एम्बुलेंस को लगभग 1 साल हो गया है. लोगों की जान बचाने के लिए लाई गई एम्बुलेंस आज खुद अपने वजूद को नहीं बचा पा रही है. फिलहाल एम्बुलेंस को जनता की नजरों से छिपाकर एक ऐसे स्थान पर उसे खड़ा किया गया है, जहां उसका हाल पुछने वाला कोई नहीं है.
जनवरी 2020 को नगर पालिका परिषद की ओर से लाई गई इस एम्बुलेंस की शक्ल और सूरत जनता तो छोड़िए नगर पालिका परिषद के सभासदों ने भी नहीं देखी है. जब जनता से एम्बुलेंस के बारे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. पालिका प्रशासन से इस विषय में अगर सवाल पूछे जाते हैं कि एम्बुलेंस कहां है तो कहा जाता है कि सुरक्षित स्थान पर खड़ी है, लेकिन वह सुरक्षित स्थान कहां है यह नहीं बताया जाता.
फिलहाल एम्बुलेंस की कीमत पूछे तो जेम पोर्टल पर देखने के लिए बताया जाता है. एम्बुलेंस सेवा के बहाल नहीं होने पर पूछने पर कोरोना काल का हवाला दिया जाता है. हालांकि नगर पालिका अधिशासी अधिकारी अरुणेंद्र पांडे इस बात को तस्लीम करते हैं कि नगरपालिका में जनता की सेवा के लिए एक एम्बुलेंस लाई गई है, लेकिन यह कब तक चलेगी इसका कोई संतोषजनक जवाब वह नहीं दे पाए. नगर पालिका के सभासद सीधे-सीधे नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं.
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