कोरोना काल में यूपी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत, वेतन विसंगति को लेकर एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर गए
कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने वाली एंबुलेंस के पहिये सोमवार शाम को थम गये. वेतन विसंगति की वजह से एंबुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न तो समय से वेतन मिलता है और न ही ओवरटाइम.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीमारों को अस्पताल तक पहुंचाने वाली एंबुलेंस सेवा ठप हो गई है. एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी की मनमानी के चलते प्रदेश भर में एंबुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है. कर्मचारियों का आरोप है कंपनी काम तो करवाती है, पर ना तो समय से भुगतान करती है और ना समय पर उचित वेतन देती है. ऐसे में अब उनके पास हड़ताल के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता.
उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस संचालन करने वाली जीवीके कंपनी की मनमानी के चलते शाम 6:00 बजे से प्रदेश भर में एंबुलेंस सेवा ठप हो गई हैं. एंबुलेंस के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. हड़ताल पर गए एंबुलेंस कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने ट्रेंड मजदूरों के लिए जो 11000 की न्यूनतम मजदूरी तय की है. कंपनी एंबुलेंस कर्मचारियों को वह भी नहीं देती. कर्मचारियों को बिना किसी महंगाई भत्ते के 6500 रु दिए जाते हैं.
12-12 घंटे तक काम करवाया जाता है, जिसके एवज में कोई ओवरटाइम नहीं मिलता. इतना ही नहीं प्रदेश भर में 3500 से 4000 ऐसे कर्मचारी हैं जिन्होंने 1 साल पहले ही ज्वाइन किया तो उनको सिर्फ 5400 रुपए तनख्वाह दी जाती है.
समय पर नहीं मिलता है वेतन कंपनी के कॉल सेंटर में काम करने वाली महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है. वर्कप्लेस पर सेक्सुअल हरासमेंट रोकने के लिए दिए गए दिशा निर्देशों का भी कोई पालन नहीं किया जाता. तमाम ऐसे कर्मचारी हैं, जो 2012 से कंपनी में काम कर रहे हैं. लेकिन उनको ग्रेजुएटी नहीं मिलती. इन सबके साथ ही कंपनी निर्धारित 10 तारीख पर कभी वेतन नहीं देती. 2-3 माह रोक रोककर कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है. इन तमाम विसंगतियों के चलते कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक शोषण होता है और जिसके चलते ही कई बार दुर्घटनाएं हो रही हैं.
हड़ताल पर जाने को मजबूर अपनी मांगों को लेकर जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108, 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष हनुमान पांडे का कहना है कि अब कर्मचारी हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं. सरकार और कंपनी के बीच में तमाम बार सुलह समझौते हुए. कंपनी ने सरकार को वादे किए, लेकिन कंपनी कर्मचारियों का शोषण नहीं रोक रही. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता.
कर्मचारी अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ हड़ताल पर चले गए हैं. इससे प्रदेश भर में चल रही मरीजों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने वाली 108 और 102 एंबुलेंस सेवा जरूर ठप हो गई है. यह आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बनेगी. ऐसे में अगर समय रहते सरकार के दखल के बाद ही सही कर्मचारी हड़ताल पर नहीं लौटे तो उत्तर प्रदेश में कोरोना के संकट काल में एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल एक नई मुसीबत खड़ा कर सकती है.
ये भी पढ़ें.
बाढ़ कैंपों में भी हो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, कराई जाए मेडिकल जांच- योगी आदित्यनाथ
यूपी में लगातार बढ़ रहा है कोरोना महामारी का प्रकोप, 24 घंटों में 51 लोगों की हुई मौत