अमेठी: इंसाफ की दरकार दर-दर भटकता परिवार, पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
अमेठी में एक परिवार पिछले तीन महीने से इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा है। इस परिवार के एक सदस्य की 24 मार्च को हत्या कर दी गई थी। पीड़ित परिवार ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि पुलिस कोई मदद नहीं कर रही है।
अमेठी, एबीपी गंगा। अधिकतर पुलिस थानों में यह स्लोगन लिखा हुआ मिलता है कि 'परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम', लेकिन वास्तविकता इससे कोसो दूर नजर आती है। मामला अमेठी के कमरौली थाने का है, यहां एक परिवार पिछले तीन महीने से इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, लेकिन पुलिस के कानों में जू तक नहीं रेंग रही। ये खुद पीड़ित परिवार का कहना है।
पढ़ें पूरा मामला
पूरा मामला पूरे सैंमसी मजरे बरसंडा थाना कमरौली का है। 24 मार्च 2019 को 52 वर्षीय निजामुद्दीन रात करीब 10 बजे खाना खाकर घर के आंगन में टीन सेट के नीचे सो गए थे। सुबह जब परिवार वालों की आंख खुली, तो वह घर में नहीं मिले।उनकी खोजबीन शुरू हुई और जब वो नहीं मिले, तब परिजनों ने उनकी पुलिस में गुमशुदगी की सूचना दी। जिसके बाद उनकी खोजबीन शुरू हुई। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उनकी तलाश में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और इस बीच अपहरणकर्ताओं ने उन्हें जान से मार दिया और उसकी लाश को गायब करने की कोशिश में जुट गए। दरअसल, मृतक के गायब होने की सूचना गांव में सभी लोगों को थी, इसलिए अपहरणकर्ता भी सचेत हो गए थे और उनको लाश को ठिकाने लगाने का मौका नहीं मिल रहा था।
24 मार्च को हुआ अपहरण, 28 को मिली लाश
अभियुक्तों ने निजामुद्दीन की हत्या उनके घर से कुछ दूरी पर लाकर पूरे ठकुराइन निवासी बैजनाथ मौर्य के गेहूं के खेत में की। 24 मार्च को वो घर से गायब हुए थे और 28 मार्च को उनकी लाश मिली थी। चार दिन तक उनकी लाश गेहूं के खेत में सड़ती रही। लाश इतनी सड़ चुकी थी, कि उसमें भयानक बदबू आ रही थी। जिस कारण किसी की उसके पास जाने की हिम्मत तक नहीं हुई। किसी तरह जब शिनाख्त करने के लिए कुतुबुद्दीन गया, तो उसने उस लाश की पहचान अपने बड़े भाई निजामुद्दीन पुत्र अशरफ अली के रूप में की। मौके पर पहुंची पुलिस ने लाश का पंचायतनामा भरते हुए उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा। लाश इतनी सड़ चुकी थी कि पोस्टमार्टम में भी उसकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। जिसके बाद उसका विसरा जांच के लिए भेज दिया गया। इधर, परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा था।
इन चार नामजद आरोपी
वहीं, इस मामले में चार व्यक्तियों को नामजद आरोपी बनाया गया है। इनके खिलाफ कमरौली थाने में मुकदमा पंजीकृत किया गया। ये चार नामजद आरोपी-इश्तियाक अहमद पुत्र फौजदार, एखलाक अहमद पुत्र मोहम्मद तकी, मोहम्मद हारुन पुत्र मोहम्मद अयूब निवासी ग्राम पुरे सैंमसी मजरे बरसंडा थाना कमरौली और मोहम्मद शमीम पुत्र हैं।
पीड़ित परिवार का आरोप
मृतक के परिजन के अनुसार, अभियुक्त कई बार पंचायत चुनाव में हिस्सा ले चुके हैं, लेकिन कभी जीत हासिल नहीं कर पाए थे। पंचायत चुनाव में पूर्व प्रधान की हत्या अभियुक्तों ने ही की थी, जिस पर थाना बाजार स्कूल में अपराध संख्या 265 /2000 अंतर्गत 302, 307 ,120 बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें माननीय सत्र न्यायालय में अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस प्रकार अभियुक्तों का पुराना इतिहास रहा है और निजामुद्दीन व अभियुक्तों के बीच किसी बात को लेकर पुरानी रंजिश चली आ रही थी। इसी रंजिश के चलते अभियुक्त मृतक को लगातार धमकी देते रहते थे। कई बार छोटी- मोटी बातों को लेकर विवाद कर मृतक को जान से मारने का भी प्रयास किया था। इसमें कई बार वे चोटिल भी हुए थे। ये घटना उनकी हत्या करने से कुछ दिन पहले की है।
मृतक की पत्नी बोलीं- आरोपियों को मिले फांसी
वहीं, इस बाबत मृतक निजामुद्दीन की पत्नी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभियुक्त इश्तियाक द्वारा छोटी मोटी कहासुनी में एक सप्ताह पहले धमकी दी गई थी कि तुम को चारपाई से उठवा लेंगे और लाश का पता नहीं चलेगा। हम हर दिन सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। जब उस दिन उठीं, तो देखा की खाट खाली पड़ी है। मैं बहू के पास थी। वह नीचे लेटी हुई थी। उसके बाद हम लोगों ने खोजना शुरू कर दिया। इन लोगों ने गायब करके उनको मार दिया और 4-5 दिन बाद लाश मिली जो कि यह लोग अपने घर में छुपाए थे। पुलिस में हमने एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन पुलिस वालों ने कुछ नहीं किया। हम चाहते हैं कि हमको न्याय मिले और इस तरह का काम करने वालों को फांसी की सजा मिले।
मृतक के भाई ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाया सवाल
मृतक के भाई ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा, 24 मार्च की रात को मेरे भाई उठा ले गए और उनका मर्डर कर दिया। हमने नामजद रिपोर्ट कराई। पुलिस हमारी कुछ नहीं नही और कोई कार्रवाई नहीं की। उनकी लाश भी चार दिन बाद मिली। जब मेरी कोई सुनवाई नहीं हुई, तब हम न्यायालय के पास गए। हम चाहते हैं कि हमारे भाई के हत्या का खुलासा हो वह कौन लोग थे जो घर से लेकर गए थे।
पीड़ित परिवार के वकील का बयान
पीड़ित परिवार के वकील ने बताया की 28 मार्च, 2019 को निजामुद्दीन की लाश मिली थी, उसमें जो पीड़ित पक्ष है निजामुद्दीन की पत्नी वह मेरी मुवक्किल है। उसने अपनी शिकायत माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुलतानपुर के यहां की है कि उनके मुकदमे में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पुलिस उन लोगों का बयान नहीं दर्ज कर रही है। पुलिस की कार्यशैली पर उन्होंने सवाल उठाया है। इस संबंध में हमने एक मॉनिटरिंग एप्लीकेशन न्यायालय में प्रेषित की है, जिसमें न्यायालय ने 29 जून 2019 को रिपोर्ट मांगी गई है।
अमेठी के पुलिस अधीक्षक का बयान
वहीं, जब इस पूरे प्रकरण पर अमेठी के पुलिस अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डेड बॉडी मिलने के बाद उसको पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर किसी भी प्रकार की कोई चोट नहीं पाई गई। मृत्यु का कारण अस्पष्ट है, इसलिए विसरा प्रिजर्व किया गया है और परीक्षण के लिए भेजा गया है। पीड़ित पक्ष ने नामजद एफआईआर दर्ज कराई है और जिस प्रकरण में कराया है वह प्रकरण अभी स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात अगर वह धमकी दे रहा है तो उसकी शिकायत थाने पर करें उसकी कार्रवाई होगी।