Amethi & Raebareli News: अमेठी और रायबरेली पर कांग्रेस का सस्पेंस अभी तक बरकरार है. चर्चा में तो कई नाम तैर रहे हैं हालांकि अभी तक आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है. इन सबके बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि यूपी की वह दो सीटें जिसे गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है वहां पार्टी फैसला करने में इतना देर क्यों लगा रही है?
सबसे पहले बात करते हैं अमेठी लोकसभा सीट की. यहां से संजय गांधी, भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी सांसद रह चुके हैं. दूसरी ओर रायबरेली में तो सन् 1952 से ही गांधी परिवार चुनाव लड़ता आ रहा है. फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी इस सीट से सांसद रह चुकी हैं.
गढ़ तो थे लेकिन धीरे-धीरे ढहे किले?
हालांकि एक ओर जहां यह दोनों निर्वाचन क्षेत्र गांधी परिवार गढ़ माने जाते रहे वहीं पर्दे के पीछे कुछ और ही होता रहा.
साल 2009 से साल 2019 तक के तीन आम चुनावों के आधार पर अगर हम देखें तो एक ओर जहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरा वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए नतीजे भले उत्साहजनक न रहे हों लेकिन मत प्रतिशत में बढ़ोत्तरी उसे हौसला जरूर देती रही.
रायबरेली सीट पर साल 2009 में 72.2, साल 2014 में 63.8 और साल 2019 में कांग्रेस को 55.8 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बीजेपी की बात करें तो उसे साल 2009 में जहां 3.82, साल 2014 में 21.1 और साल 2019 में 38.7 फीसदी वोट मिले थे.
अब अमेठी की बात करें तो साल 2009 में कांग्रेस को 71.80, 2014 में 46.70 और 2019 में 45.90 फीसदी वोट मिले थे. इसके ठीक उलट बीजेपी को 2009 में 5.80, 2014 में 34.40 और 2019 में 49.70 फीसदी वोट मिले थे. आंकड़ें देखेंगे तो पाएंगे कि साल दर साल कांग्रेस को मिलने वाले कुल मत प्रतिशत का ग्राफ रिकार्ड स्तर पर गिरता जा रहा है वहीं बीजेपी लगातार अपने मत प्रतिशत में सुधार करती गई. 2019 के चुनाव में ही स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,000 मतों से मात दी थी.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 4 जून को जब परिणाम आएंगे तो अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के भविष्य का ऊंट किस करवट बैठेगा.