Amethi News: अमेठी के सिंहपुर ब्लाक में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं केले के तने से जरूरत के सामान बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिस केले के पेड़ से किसान फल लेने के बाद खेतों में छोड़ देते हैं, उसी केले के तने से महिलाएं पर्स, टोपी, बैग, चटाई, आसनी समेत कई जरूरत की चीजें बनाकर आत्मनिर्भर होने के साथ ही अपने और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. इसी केले के पेड़ की जड़ों से महिलाएं खाद भी बना रही हैं जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
जिले में पिछले कई सालों से केले की खेती का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. केले का प्रयोग लोग कई तरह से करते हैं तो वहीं केले का फल तोड़ने के बाद जिले के सिंहपुर ब्लॉक की महिलाएं उनके डंठल का प्रयोग फाइबर निकालने में करती हैं. समूह की महिलाओं ने भारत सरकार के उपक्रम नाबार्ड के सहयोग से ऐसा प्रयास किया गया है. शुरू में जहां इस काम में कुछ महिलाओं ने ही अपनी रुचि दिखाई थी तो वहीं आज इस कार्यक्रम में माध्यम से 15 समूह की महिलाओं को रोजगार मिल चुका है.
समूह की महिलाओं ने केले के डंठल से निकाले गए फाइबर से अनेक तरह से घरेलू उपयोगी सामान बनाने के साथ ही लोगों के लिए जरूरतमंद सामान बना रही हैं. जहां एक तरफ इस काम से महिलाओं को रोजगार मिला है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को अपने केले के खेत में होने वाले कचरे से छुटकारा भी मिल गया है. वहीं इस काम को करने के लिए समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनको निपुण भी किया जाता है.
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किसानों को भी हो रहा जमकर फायदा
केले के डंठल से जहां एक तरफ समूह की महिलाएं जरूरी सामान बनाकर रोजगार प्राप्त कर रही हैं. वहीं केले की जड़ और उससे निकलने वाले तरल पदार्थ से जैविक खाद बनाकर किसानों के लिए भी मददगार बन रही हैं जो किसानों की फसल के उत्पादन और उनकी आय को बढ़ाने में लाभदायक होगी. केले के जड़ से बनाई गई खाद का प्रयोग किसान अपनी खेती के साथ ही बागवानी में कर सकता है जो फसल के साथ अनेक पौधों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है.
वही केले के तने से जरूरत का सामान बना रही आरती स्वयं सहायता समूह की महिला ने कहा कि केले के तने को मशीन में डालकर उसकी रस्सी बनाई जाती है उससे कई प्रकार के जरूरत के सामान बनाए जाते हैं.