अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोले अमित शाह- हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं
बनारस में अमित शाह ने कहा कि हिन्दी का जन्म काशी में हुआ. बनारस से ही खड़ी बोली का क्रमवार विकास हुआ है. हिन्दी भाषा का उन्नयन भी 1853 में ही हुआ. हिन्दी का पहला शब्दकोश बनारस में बना.
Amit Shah in Banaras: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज बनारस के दौर पर रहे. इस दौरान उन्होंने अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि ये नई शुरुआत उस वर्ष में होने जा रही है जो हमारी आज़ादी का अमृत महोत्सव है. हम सब हिन्दी प्रेमियों के लिए ये संकल्प का वर्ष रहना चाहिए कि जब आज़ादी के 100 वर्ष हों तब देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि हमें किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की जरूरत न पड़े.
'हिंदी भाषा को लेकर खड़े किए गए विवाद'
कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा, "मैं मानता हूं कि ये काम आज़ादी के तुरंत बाद होना चाहिए था. पहले हिंदी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो वक्त अब समाप्त हो गया है. देश के प्रधानमंत्री जी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है."
'राजभाषा को करें मजबूत'
अमित शाह ने अपने संबोधन में आगे कहा, "काशी भाषा का गोमुख है. हिन्दी का जन्म काशी में हुआ. बनारस से ही खड़ी बोली का क्रमवार विकास हुआ है. हिन्दी भाषा का उन्नयन भी 1853 में ही हुआ. हिन्दी का पहला शब्दकोश बनारस में बना. जनता का लक्ष्य होना चाहिए कि राजभाषा को मज़बूत करें. भाषा की उपासना करने वालों के लिए काशी गंतव्य रहा है."
'देश के इतिहास से अलग नहीं काशी'
शाह ने कहा, "देश के इतिहास को काशी से अलग करके नहीं देखा जा सकता, जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है. जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं."
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