पुरखों की सरज़मीं पर माथा टेकना चाहते हैं महानायक अमिताभ बच्चन, लड़कियों का स्कूल खोलने की भी है तैयारी
77 साल के अमिताभ अपने जीवन में कभी भी अपने पैतृक गांव प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी नहीं गए हैं. अमिताभ की पत्नी जया बच्चन ज़रूर साल 2006 में यहां आई थीं.
प्रतापगढ़: सदी के महानायक फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन जल्द ही अपने पुरखों की सरजमीं प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी गांव जाकर वहां की माटी पर माथा टेक सकते हैं. इसके संकेत खुद अमिताभ ने अपने चर्चित टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में दिए हैं. इस शो में बाबू पट्टी गांव को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनका परिवार इन दिनों इस गांव को लेकर चर्चा करता रहता है. परिवार अपने पुरखों के इस गांव में एक स्कूल खोलना चाहता है. स्कूल के साथ ही गांव में कुछ अन्य सामाजिक काम किये जाने का भी मन है.
77 साल के अमिताभ अपने जीवन में कभी भी अपने पैतृक गांव प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी नहीं गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि केबीसी के ज़रिये संकेत देने वाले अमिताभ जल्द ही अपने परिवार के साथ बाबू पट्टी जा सकते हैं. अमिताभ की पत्नी जया बच्चन ज़रूर साल 2006 में यहां आई थीं. यहां नई बहू की तरह गांव के चौरे पर माथा टेकने के बाद उन्होंने अपने ससुर हरिवंश राय बच्चन के नाम पर लाइब्रेरी की शुरुआत की थी. जया ने उस वक़्त सार्वजनिक तौर पर यहां के लोगों से दो वायदे किये थे. पहला बेटे अभिषेक की होने वाली पत्नी को गांव लाने और साथ ही बाबू पट्टी गांव में लड़कियों के लिए एक डिग्री कालेज खोलने की. कयास यह लगाए जा रहे हैं कि बच्चन परिवार यहां स्कूल की शुरुआत कर लड़कियों का डिग्री कालेज खोलने के अपने 14 साल पुराने वायदे को पूरा करना चाहता है.
गांव के लोग बेहद उत्साहित
केबीसी में पुरखों के गांव को याद करने, यहां परिवार संग आने का संकेत देने और बाबू पट्टी में स्कूल खोले जाने का एलान करने के बाद से गांव के लोग बेहद उत्साहित हैं. गांव के लोग खुशियों में सराबोर हो गए हैं. कहीं मिठाइयां बांटी जा रही हैं तो कहीं पटाखे फोड़कर आतिशबाजी की जा रही है. बाबू पट्टी गांव के लोगों को अब उस लम्हे का इंतज़ार है जब बच्चन परिवार यहां आएं और उन्हें स्कूल समेत अन्य तोहफों की सौगात दे. वैसे बाबू पट्टी व इसके कई किलोमीटर के दायरे में लड़कियों का कोई डिग्री कालेज नहीं है. यहां इसकी सख्त जरूरत भी है. बाबू पट्टी गांव के लोगों का मानना है कि बच्चन परिवार अपना वादा ज़रूर निभाएगा. जया बच्चन ने 2006 में हरिवंश राय बच्चन के नाम पर गांव में जिस लाइब्रेरी की शुरुआत की थी, आज वह पूरी तरह बदहाल है. वहां एक भी किताब नहीं बची है. उम्मीद है कि बच्चन परिवार के आने पर इसके दिन भी बदल सकते हैं.
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