अलीगढ़, एजेंसी। अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है। उच्चतम न्यायालय का फैसला आने की संभावनाओं के बीच यूपी में सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) प्रशासन ने समाज के विभिन्न वर्गों को सलाह दी है कि वो सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाहों और झूठी खबरों पर ध्यान न दें और ऐसी किसी भी जानकारी पर आंख बंद करके भरोसा न करें।
एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने सोमवार को समाज के विभिन्न वर्गों को लिखे एक 'खुले पत्र' में आग्रह किया कि वे सोशल मीडिया के जरिये उड़ाई जाने वाली अफवाहों और झूठी खबरों से सावधान रहें। साथ ही जाने-अनजाने ऐसी गतिविधियों से भी दूर रहें जिनसे शहर और देश का माहौल खराब हो।
तारिक मंसूर ने बेहद भावुक अपील करते हुए कहा कि दुनिया हमारा आकलन इस बात से करेगी कि हम अयोध्या मामले में न्यायालय के फैसले पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। हमें हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी अदालत के फैसले को पूरी परिपक्वता के साथ स्वीकार करना होगा, ताकि दुनिया को पता चले कि हम वाकई एक जिम्मेदार समाज का हिस्सा हैं।
बता दें कि, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले के पहले अयोध्या प्रशासन ने नया सर्कुलर भी जारी किया है। अयोध्या प्रशासन ने जिले में हर तरह के सोशल मीडिया पर होने धार्मिक कमेंट पर एडवाइजरी जारी की है। प्रशासन ने कहा है कि अयोध्या, मंदिर, मस्जिद या फिर सांप्रदायिक कमेंट सोशल मीडिया पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। अगर लोग अपने व्हाट्सएप्प, फेसबुक, टि्वटर इंस्टाग्राम या दूसरे अन्य सोशल मीडिया ग्रुप पर आपत्तिजनक पोस्ट या कमेंट लिखते हुए पाए जाएंगे तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने हाल ही में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आ भी जाए तो मस्जिद बनना मुमकिन नहीं है। लिहाजा, बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए जमीन उन्हें गिफ्ट कर दी जाए, इससे सौहार्द बना रहेगा।