Aligarh News: देश के 25 शिक्षाविदों द्वारा इस्लामिक विश्वविद्यालय में जिहादी इस्लाम पाठ्यक्रम को पढ़ाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 27 जुलाई को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने पाकिस्तान के कट्टर इस्लामिक स्कॉलर अबुल अला मोदुदी की किताबों का भी जिक्र किया था. मौदुदी जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक थे जिसकी विचारधारा थी इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना. इस पत्र के आने के बाद जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन से बात की गई तो उन्होंने माना कि हां उनके यहां अबुल अला मौदुदी की किताबें बीए,एमए, एम फिल, पीएचडी तक सिलेबस में है. अब मामले की सुर्खियों में आने के बाद एएमयू प्रशासन ने अपने सिलेबस से मोदुदी की किताबों को हटा दिया है. इसके साथ ही इजिप्ट के एक अन्य स्कॉलर सय्यद कुतुब की किताबों को भी सिलेबस से हटा दिया है.
AMU के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई ने दी ये जानकारी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई ने बताया कि लैटर के बारे में चेयरमैन से बात हुई. इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन ने बताया कि हमारा एमए और बीए का जो कोर्स था इस्लामिक स्टडीज का उसमें बहुत सी विचारधारा है जो इस्लाम से संबंधित है. वह पढ़ाई जाती है. मौलाना मौदुदी व कुतुब सईद की किताबें भी पढ़ाई जाती थी. क्योंकि उनकी कंट्रोवर्सी बुक है और कंट्रोवर्सी विचारधारा है उसके चलते यह फैसला किया गया की मौलाना मोदुदी जी की जो किताबें हैं जाहिर है जिसमें जिहाद के मुताबिक है तो वह पुस्तकें भी शामिल है और सय्यद कुतुब की जो किताबें हैं उनको उन्होंने अपने सिलेबस से प्रोफेसर इस्माइल जो इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन है उन्होंने बताया कि उन्होंने बीए और एमए के सिलेबस से उन किताबों को हटा दिया है. सिलेबस बनाने का डिपार्टमेंट को अधिकार दिया गया है कि वह सिलेबस तैयार करें. कौन सी किताबें पढ़ाई जाएंगी कौन सी किताबें महत्वपूर्ण है. यह फैसला डिपार्टमेंट को दिया गया हैं.
किताब हटाए जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष मसूद उल हसन ने बताया कि जैसा कि सुनने में आ रहा है इस्लामिक स्टडीज विभाग ने मौलाना अबुल आला मोदुदी की किताबें हटा दी गई है. चेयरमैन साहब का कहना है. तो मुझे लगता है कि किसी भी कोर्स के अंदर किताबें हटाना या जो अधिकार है वह यूनिवर्सिटी की जो एकेडमिक काउंसिल होती है उसके पास होता है और वह उसके बाद एग्जीक्यूटिव काउंसिल में पास होने के बाद वह कोर्स में तब्दील होती है. और फिर यूजीसी भेजा जाता है और अप्रूव होता है. यह बहुत लंबा प्रोसेस है. एक दम से हटा नहीं सकते है. अगर हटा दी गई है तो यह दर्शा रहा है कि देश का मुसलमान और खासतर से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय या ऐसा संस्थान जो मौजूदा सरकार है और उसके गुर्गे हैं उससे कितना ज्यादा भयभीत है और डरा हुआ है. एक विश्वविद्यालय के अंदर किताबें हटा दी गई कि कुछ लोगों को उस पर आपत्ति है जबकि विश्वविद्यालय की स्थापना ही इसलिए होती है कि वह विश्व भर की किताब पढ़ा सके. पढ़ने के लिए और अध्ययन करने के लिए बड़े-बड़े यूनिवर्सिटी जो होती है वह बनाई जाती हैं.
शिक्षाविदों द्वारा पीएम को पत्र लिखे जाने पर मसूद उल हसन ने कही ये बात
इससे पहले 25 शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर मसूद उल हसन ने कहा था कि कुछ बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने लिखा है कि एएमयू और जामिया मिलिया इस्लामिया और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी के अंदर जिहादी पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है. मैं समझता हूं शायद उनको यह नहीं मालूम या वह हो सकता है कि वह बुद्धिजीवी ना होकर ऐसे ही सावरकर या गोलवलकर की किताब पढ़ कर आ गए हैं और आर एस एस बीजेपी बजरंग दल के मेम्बर हो सकते हैं. जिन्हें यह नहीं मालूम कि कोई भी केंद्रीय विश्वविद्यालय उनका पाठ्यक्रम यूजीसी तय करती है वहां से अप्रूव होता है उसी के बाद कोई भी कोर्स किसी भी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है.
शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के सवाल पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रवक्ता निश्चित शर्मा ने कहा कि सर्वप्रथम मेरे संज्ञान में आया है कि किस प्रकार से 20 शिक्षाविदों ने पूरा विषय माननीय प्रधानमंत्री जी के संज्ञान में दिया है. आज आवश्यकता भी थी कि इस विषय को इस पटल पर रखा जाए. एएमयू एक शिक्षा का केंद्र है. युवाओं को यहां एक भारी संख्या में फंड मिलता है. मौदुदी वह शख्स है जिसने जमात-ए-इस्लामी की स्थापना की. यह संस्था है जिसको पीएफआई अपना प्रेरणास्रोत मानता है जिसको हमारलस, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट अपनी प्रेरणा स्रोत मानता है. हमने देखा है कि मदरसे जो शिक्षा देते आए हैं उसी शिक्षा को आगे आकर जोड़ने का काम हो रहा है. एक ऐसा व्यक्ति जिसने इस्लामिक स्टेट बनाने को लेकर उसके पश्चात किस प्रकार से इस्लामिक स्टेट का संविधान होना चाहिए. उसकी आइडलोजी को एएमयू में पढ़ाया जा रहा है.यह शर्मसार करने वाला है.
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