Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर को नए-नए शोध को लेकर अनुदान प्राप्त हो रहे हैं. इससे पहले कैंसर को लेकर 2.15 करोड़ रुपए का अनुदान एएमयू के डॉक्टर को मिला था. लेकिन एक बार फिर एएमयू की प्रोफेसर को यह अनुदान मिला है. जिसको लेकर एक नई रिसर्च प्रोफेसर के द्वारा की जाएगी. वहीं उत्तराखंड में किए जाने वाले अध्ययन का उद्देश्य हिमालयन तहर की पारिस्थितिकी और इसके रहने के क्षेत्र में अन्य प्रजातियों के साथ सह-अस्तित्व को समझना है. इससे उत्पन्न निष्कर्ष न केवल इस महत्वपूर्ण प्रजाति के संरक्षण में योगदान देंगे बल्कि क्षेत्र में समग्र जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को भी बढ़ाएंगे.


दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग की प्रोफेसर उरूस इलियास को भारत सरकार के अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के एसईआरबी-कोर रिसर्च ग्रांट के तहत एक महत्वपूर्ण शोध के लिए यह अनुदान प्रदान किया गया है. जिसमें उनको लगभग 67 लाख रुपये की राशि का यह अनुदान कश्मीर से उत्तराखंड तक हिमालय के क्षेत्रों में फैले ‘संरक्षण योजना के लिए हिमालयी थार की जनसंख्या पारिस्थितिकी का आकलन’ नामक परियोजना के लिए आवंटित किया गया है.


क्या बोले प्रोफेसर खुर्शीद अहमद
एसकेयूएएसटी-कश्मीर के वानिकी संकाय के वन्य जीव विज्ञान प्रभाग के प्रमुख, प्रोफेसर खुर्शीद अहमद परियोजना के सह-प्रमुख अन्वेषक रहेंगे. प्रोफेसर उरूस इलियास ने पूरे मामले को लेकर बताया कि हिमालयन थार बकरी मृग एक दुर्लभ प्रजाति है जो हिमालय के दक्षिणी भाग में जंगल की रेखा के आसपास के संकीर्ण क्षेत्र, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. इसकी आबादी में 30 प्रतिशत से अधिक गिरावट के कारण, इस प्रजाति को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची एक में रखा गया है. वही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनकी उपलब्धि को लेकर गजब का उत्साह है.


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