Aligarh Muslim University News: अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज को लेकर बयान दिया है. उनके दिए गए बयान अब उनके लिए मुश्किल बनता हुआ नजर है. वजह है इस बयान की शिकायत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर से की गई है, जिसको लेकर अब सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं.


दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान धार्मिक भेदभाव को लेकर सांसद सतीश गौतम ने लोकसभा में बयान दिया था, जिसको लेकर एएमयू के सभी चार कार्यकारी परिषद सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है, जिसमें ओम बिरला और देश के प्रधानमंत्री से सांसद के बयान को सदन के रिकॉर्ड से हटाने की भी मांग की गई है.


एएमयू के कार्यकारी परिषद ने ओम बिरला को लिखा पत्र


विश्व प्रसिद्ध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की कार्यकारी परिषद (ईसी) के चार निर्वाचित सदस्यों प्रो. मोहम्मद शमीम, प्रो. मोइनुद्दीन, डॉ. मसवर अली और डॉ. मुराद अहमद खान ने लोकसभा अध्यक्ष को एक विशेष पत्र लिखा है. ओम बिरला के लिए इसे अगस्त में लिखा था, जिसकी कॉपी प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय, नेता प्रतिपक्ष, एएमयू के कुलपति, पीआरओ एएमयू को भी भेजी गई थी, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.


2 अगस्त को एमपी सतीश गौतम ने लगाया था आरोप


वैसे तो यह पत्र 7 तारीख को मीडिया में आना था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कार्यकारी परिषद (ईसी) के एक सदस्य के पत्र पर हस्ताक्षर न करने के कारण यह पत्र मीडिया और सोशल मीडिया में नजर नहीं आया. शुरुआत एबीपी लाइव को जब इस पत्र की कॉपी मिली तो पता चला कि लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएनएमसीजी) के डॉक्टरों और स्टाफ पर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों से हम काफी आहत हैं. 2 अगस्त को लोकसभा में सतीश गौतम की तरफ से बेबुनियाद आरोप लगाए जाने पर हम मरीज का इलाज धर्म नहीं बीमारी पूछकर करते हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है बिना धर्म और जाति  पूछ कर मेडिकल कॉलेज में सभी मरीजों का इलाज किया जाता है.


एएमयू कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्य डॉ मसवर अली से खास बातचीत में कहा कि अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम का बयान एएमयू को लेकर प्रधानमंत्री के विचारों के खिलाफ है. प्रधानमंत्री ने एएमयू के शताब्दी वर्ष को ऑनलाइन संबोधित करते हुए एएमयू को मिनी इंडिया बताया. कार्यकारी परिषद एएमयू शिक्षक वर्ग के निर्वाचित सदस्यों के रूप में हम अनुरोध करेंगे कि आप अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम को लोकसभा में जेएनएमसी डॉक्टरों पर अपनी अपमानजनक टिप्पणी वापस लेने की चेतावनी दें और साथ ही उन्होंने जेएनएमसी डॉक्टरों के खिलाफ जो कुछ भी कहा है. कृपया अन्य कर्मचारियों को सदन की कार्रवाई से बाहर कर दिया जाए. 


''इलाज उसके धर्म को नहीं बल्कि बीमारी को जान कर करते हैं''


कार्यकारी परिषद (ईसी) के अन्य सदस्य और मेडिकल कॉलेज के डॉ. शमीम अहमद ने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि अगर अलीगढ़ के किसी अस्पताल को एम्स का दर्जा मिलता है, तो यह हमारे लिए खुशी की बात होगी क्योंकि इससे और अधिक लोग आएंगे. अलीगढ़ में इलाज के लिए मरीजों की संख्या कम होगी और हमारा बोझ भी कम होगा. उन्होंने आगे कहा कि हम डॉक्टर मरीज का इलाज उसके धर्म को नहीं बल्कि उसकी बीमारी को जानकर करते हैं. अभी तक किसी भी गैर मुस्लिम मरीज ने डॉक्टर या चिकित्सा प्रशासन पर इलाज के दौरान धार्मिक भेदभाव का आरोप नहीं लगाया है.  इसलिए सांसद के आरोप निराधार हैं, इसलिए हमने स्पीकर ओम बिरला और प्रधानमंत्री से शिकायत कर उनके बयान को रिकॉर्ड से हटाने की मांग की है.


इस बयान को लेकर लोकसभा के स्पीकर को लिखा पत्र


वहीं अलीगढ़ जिले से तीसरी बार निर्वाचित हुए बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने 2 अगस्त को संसद में अपने बयान में कहा था कि ''जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एएमयू का है, वहां स्पेशल (मुस्लिम) डॉक्टर हैं, जिसके कारण हिंदू मरीज वहां जाने से कतराते हैं. इसलिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल को एम्स का दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि अलीगढ़ सहित आसपास के इलाकों का भी इलाज हो सके और अच्छे से मरीजों का इलाज किया जा सकता है''., इसी को लेकर इसी के सदस्यों की तरफ से लोकसभा के स्पीकर और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पत्र के माध्यम से सांसद के बयान को रिकॉर्ड में हटाने की मांग की है. अब देखना ही होगा यह बयान रिकॉर्ड से हटेगा या फिर नहीं.


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