संपत्ति पर बढ़ी तकरार, निरंजनी अखाड़े के निष्कासित संत आनंद गिरी महाराज ने अपनी हत्या की आशंका जताई
निरंजनी अखाड़े से निष्कासित संत आनंद गिरी महाराज ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने संपत्ति विवाद को लेकर कहा कि दो साधुओं की हत्या भी इसी वजह से हुई थी.
प्रयागराज: पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से निष्कासित किए जाने के बाद स्वामी आनंद गिरी और उनके गुरु अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच तकरार बढ़ती ही जा रही है. निष्कासन के बाद एक दूसरा वीडियो जारी कर स्वामी आनंद गिरी ने अखाड़े की संपत्ति को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि संपत्ति के विवाद में ही निरंजनी अखाड़े से जुड़े दो युवा संतों ने आत्महत्या कर ली थी और संदिग्ध परिस्थितियों में उनके शव पाए गए थे. उन्होंने निरंजनी अखाड़े से जुड़े महंत आशीष गिरी जी महाराज और महंत दिगंबर गंगा पुरी जी महाराज की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौतों की जांच कराए जाने की भी मांग की है.
अपनी हत्या की आशंका जताई
स्वामी आनंद गिरी ने अखाड़े से जुड़ी संपत्ति के विवाद में अपनी भी हत्या की आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि, अखाड़े की संपत्ति सैकड़ों वर्षों पुरानी है, हमें इसका संवर्धन और संरक्षण करना चाहिए न कि इसको बर्बाद करना चाहिए. स्वामी आनंद गिरी ने चार मिनट चौबीस सेकंड के जारी अपने इस वीडियो में कहा है कि अखाड़े की सम्पत्ति को बर्बाद करने से रोकने को लेकर ही पूरा विवाद शुरू हुआ है. स्वामी आनंद गिरी ने कहा है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि उनके गुरु हैं और आगे भी गुरु ही रहेंगे. ऐसा लग रहा है कि किसी के दबाव में अखाड़े की संपत्ति को वे नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने दुख जताते हुए कहा है कि, इस मामले में उन्हें आनन फानन में दोषी ठहरा दिया गया और अखाड़े से निष्कासित भी कर दिया गया.
मैं पूरी तरह सड़क पर आ गया हूं
स्वामी आनंद गिरी ने कहा है कि अखाड़े से निष्कासित होने के बाद अब मैं पूरी तरह से सड़क पर आ गया हूं. मेरे पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं है और कोई साधु संत भी अपने साथ बैठाना नहीं चाहता है. उन्होंने कहा है कि रुड़की में अपने द्वारा किए गए धन अर्जन और शिष्यों के सहयोग से एक आश्रम बनवा रहा था, जिसे भी सील करा दिया गया है. स्वामी आनंद गिरी ने कहा है कि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के संरक्षक स्वामी हरी गिरी महाराज का आदेश सर आंखों पर है. स्वामी आनंद गिरी ने कहा है कि किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए जीवन नहीं जीते हैं. जहां तक साधना और जप तप की बात है तो मेरा पूरा जीवन ही साधना का रहा है. स्वामी आनंद गिरी ने खुद को विशुद्ध रूप से सनातन धर्म का प्रेमी बताते हुए योगी सरकार से पूरे मामले में हस्तक्षेप और न्याय की मांग की है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर पूरी आस्था जताई है कि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई होगी.
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