गोरखपुर: आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 62 साल की उम्र में सरकार की तरफ से जबरन निकालने के विरोध का स्‍वर मुखर हो गया है. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया. उन्‍होंने मांग करते हुए कहा कि 62 की बजाये 65 साल की उम्र में उन्‍हें सम्‍मान के साथ विदा किया जाए. इसके अलावा उन्‍हें भी पेंशन की व्‍यवस्‍था की जाए. पेंशन नहीं तो 65 की उम्र पूरी होने पर 5 लाख रुपए देकर सरकार ससम्‍मान विदा करे.


मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़ा जाए
गोरखपुर के नगर निगम पार्क में दर्जनों की संख्‍या में सोमवार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने धरना-प्रदर्शन किया. कार्यकत्रियों को 62 साल की उम्र में सरकार की तरफ से निकाले जाने के विरोध में नारेबाजी की. इस अवसर पर उन्‍होंने मांग करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 साल किया जाए. उन्‍हें जबरन न निकाला जाए. उन्‍हें मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना से भी जोड़ा जाए.


जबरन विभाग से निकाला जा रहा है
आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगठन की प्रदेश अध्‍यक्ष गीतांजलि मौर्य ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को जबरन विभाग से निकाला जा रहा है. जब तक वे कार्यरत हैं, कई विभागों का काम उन्‍हें दे दिया गया है. वे हाड़तोड़ मेहनत कर रही है. 2012 का विवादित आदेश जो कोर्ट में विचाराधीन है. कोविड काल में उन्‍हें 62 साल की उम्र में निकाल दिया गया है.


बीजेपी सरकार को सिखाएंगी सबक
गीतांजलि मौर्य ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 62 साल की उम्र में निकालने की बजाये उन्‍हें 65 साल तक प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के तहत काम कराया जाए. उन्‍होंने कहा कि कक्षा 5 और 8 पास महिलाएं कैसे बीएलओ को ड्यूटी दे दी गईं. ऐसी सहायिकाएं ऐसे में कैसे काम करेंगी. उन्‍होंने कहा कि उनसे एक विभाग का काम कराया जाए और उसका पारिश्रमिक दिया जाए. ऐसा नहीं होगा तो आगामी चुनाव में बीजेपी सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकत्री अच्‍छा सबक देंगी.


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