कानपुर, प्रभात अवस्थी। कानपुर की आबोहवा जहरीली होती जा रही है। यहां रहने वाले लोगों का यहां की आबोहवा में दम घुटता है। लोग इस जहरीली हवा की वजह से बीमार पड़ रहे हैं तो अब चिड़ियाघर घर के जानवर भी इससे अछूते नहीं रह गए। कानपुर चिड़ियाघर को शहर का फेफड़ा कहा जाता है क्योंकि कानपुर की हवा को यहां लगे पेड़ साफ करने का काम करते थे लेकिन अब कानपुर के चिड़ियाघर की हवा भी इस कदर जहरीली हो गयी है कि यहां पर जानवर बीमार पड़ रहे हैं और यही नहीं जानवरों की मौत भी हो रही है और इनकी मौत की बड़ी वजह प्रदूषण है।



कानपुर में प्रदूषण की मुख्य वजहों में इमारतों का निर्माण, खराब सड़कें और कूड़े को जलाने से होता है।



लेकिन कानपुर चिड़ियाघर जो 76 एकड़ में फैला है अब शायद इसके अस्तिव को खतरा है क्योंकि चिड़ियाघर के चारों ओर बड़ी बड़ी इमारते बन रही हैं इसकी वजह से होने वाले वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और तेज रोशनी की वजह से अब जानवरों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है और इसका जिम्मेदार प्रसाशन है।



चिड़ियाघर घर के सहायक निदेशक एके सिंह ने बताया कि चिड़ियाघर के चारों तरफ बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन रही है जिसकी वजह से धूल उड़ती है और वायु प्रदूषण होता है। यही कारण है कि अब जानवर मर रहे हैं। अक्टूबर में एक बाघ की मौत हुई थी जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके फेफड़े में कार्बन और धूल के कण मिले हैं।



यही नहीं यहां पर रात भर काम चलता है जिसके कारण होने वाले शोर से जानवर चिढ़चिढे हो रहे हैं और यही नहीं काम के दौरान जलने वाली बड़ी बड़ी लाइट भी जानवरों को बहुत परेशान कर रही हैं। यही कारण है कि जानवरों ने प्रजनन करना तक बंद कर दिया है।



जानवरों को सबसे ज्यादा दिक्कत वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से हो रही है। आम इंसान तो धूल से बचने के लिए मास्क लगा लेता है लेकिन जानवर तो मास्क भी नहीं लगा सकते हैं। जितने भी जानवर इन दिनों मर रहे हैं सबके फेफड़ों में धूल के कण और कार्बन की मात्रा काफी पाई जा रही है, जिस कारण इनकी मौत हो रही हैं। यही नहीं दिन रात काम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण और लाइट प्रदूषण की वजह से जानवरो की सायकल भी डिस्टर्ब हो रही है और जिस कारण जानवर गुस्से में खुद का नुकसान कर रहे है साथ ही साथ प्रजनन क्षमता भी खत्म हो गयी है।